सिसई नहर के अतिक्रमण को लेकर सत्तरकटैया अंचलाधिकारी है लापरवाह, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने लगाया 5 हजार का जुर्माना

– नहीं पहुंचे थे अतिक्रमण हटाने के लिए दर्ज मामले के सुनवाई में
– लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने लगाया जुर्माना
– विभागीय कार्रवाई के भी दिख रहे हैं आसार

सहरसा:-एक तरफ सरकार अपनी जमीन को जमीनखोरों के कब्जे से मुक्त करने के लिए पीले पंजे की बुलडोजर चलवा रही है। अतिक्रमणकारियों पर के खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया जा रहा है। दूसरी तरफ जिले के कई इलाकों में अतिक्रमणकारियों और जमीनखोरों द्वारा सरकारी जमीन की लगातार अतिक्रमण की जा रही है।          जमीनखोर सरकार की बेकार जमीन पर ही अतिक्रमण नहीं कर रहे। बल्कि किसानों के लिए प्रखंड क्षेत्र में बनाए गए नहर के जमीन को भी अतिक्रमण कर रही है। जिस जमीन पर कच्चे मकान नहीं बल्कि पक्के मकान का निर्माण कर रहा है। साथ ही ऐसी बात नहीं है कि सरकारी जमीन पर हो रहे अतिक्रमण की जानकारी आलाधिकारी को नहीं है। चुकी जमीन सरकारी है। ऐसे में आलाधिकारी भी खामोश होकर जमीन का अतिक्रमण होने देने की प्रक्रिया पर आंख मूंद रखा है। कुछ ऐसा ही मामला जिले के सत्तरकटैया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सिसई नहर के दोनों किनारे पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन उक्त अतिक्रमण को रोकने में सरकारी महकमा पूरी तरह लापरवाह बना हुआ है। जिससे नहर की जमीन पर कच्चे मकान ही नहीं बल्कि पक्के दो तल्ला मकान का भी निर्माण हो चुका है।           वह निर्माण लगातार जारी है। जिसे रोकने की प्रक्रिया नहीं की जा रही है। ऐसे में स्थानीय युवक हीरा कुमार यादव ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार में मामला दर्ज करवाया। जिसमें उन्होंने सत्तरकटैया अंचलाधिकारी की लापरवाही और नहर की जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के सारे साक्ष्य उपस्थित किया। साथ ही अंचल कार्यालय सत्तर कटैया के द्वारा अतिक्रमण वाद संख्या-16/2023-24 में अतिक्रमणकारियों से रुपए लेकर हो रहे अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की शिकायत दर्ज करवाया था।      उनके शिकायत पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने विभिन्न तिथियां में सुनवाई की। पिछली सुनवाई में अंचल अधिकारी सत्तरकटैया को लोक शिकायत निवारण में सदेह उपस्थित होकर सुनवाई में भाग लेने और सरकारी पक्ष रखने का निर्देश दिया गया था। लेकिन लोक शिकायत निवारण के उक्त निर्देश को भी अंचलाधिकारी द्वारा अनसुना कर दिया गया। ऐसे में बीते 24 फरवरी को लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार द्वारा सत्तरकटैया अंचलाधिकारी के ऊपर 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया है। जिसकी अनुशंसा जिलाधिकारी को दिया गया है। इसके बाद मामला को निष्पादित कर दिया गया।          वहीं परिवादी को द्वितीय अपील प्राधिकार में वाद रखने का निर्देश दिया गया है। अब देखना लाजमी होगा कि सत्तरकटैया अंचल अधिकारी पर हुए जुर्माने के बाद भी वे सजग हो पाते हैं या नहीं .? नहर के जमीन पर हो रहे अतिक्रमण पर बुलडोजर चलता है या नहीं ..?

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