उच्च जोखिम प्रसव के लिए समय पर प्रसव पूर्व जांच जरुरी:-डॉ मीना सावंत

पटना:- गर्भवती महिलाओं में उच्च जोखिम प्रसव (एचआरपी) वाली महिलाओं की पहचान काफी जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान यह ऐसा कारक है जिससे मां एवं पेट में पल रहे बच्चे दोनों को खतरा होता है। इससे बचने का उपाय है कि समय पर प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) हो। ये बातें कुर्जी फैमिली हॉस्पिटल एवं प्रख्यात स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मीना सावंत ने कही। उन्होंने कहा कि सामान्यतया किसी भी गर्भवती की 4 प्रसव पूर्व जांच जरुरी है। हांलांकि डब्ल्यूएचओ अधिक से अधिक 8 बार एएनसी की सलाह देती है। किसी भी गर्भवती महिला के एचआरपी में है कि नहीं इसके लिए उसकी मेडिकल हिस्ट्री,बीपी,वेट,उम्र,प्लेसेंटा प्रीविया जैसी महत्वपूर्ण चीजें देखी जाती है। बिना रिस्क फैक्टर को पहचाने एचआरपी की पहचान नहीं की जा सकती। अगर कोई गर्भवती एचआरपी में है तो 11वें से 12 वें हफ्तों में अल्ट्रासोनिक जांच भी जरूरी है। इसके अलावा एचआरपी में बेहतर प्रसव प्रबंधन की भी आवश्यकता होती है। जिसमें आइसीयू,मेजर ओटी रूम और जीवन रक्षक उपकरण व नवजातों के विशेष वार्ड उपयोगी साबित होते हैं।
20 प्रतिशत गर्भवतियों पर हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, बिहार में 15-49 आयु वर्ग की गर्भवती महिलाओं में से लगभग 17% महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी का सामना करती हैं।        यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में हर साल लगभग 2.5 लाख महिलाएं गर्भधारण करती हैं, जिनमें से लगभग 20% महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी का सामना करती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि राज्य में लगभग 50,000 महिलाएं हर साल गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम में रहती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार से हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों में कमी लाई जा सकती है। जहानाबाद जिले के कतपुरा गांव की अंशु ने हाल में ही प्रसव कराया है। अंशु बताती है गर्भावस्था के शुरुआत से मैंने एएनसी जैसी चीजों पर ध्यान नहीं दिया। इससे मेरा प्रसव जटिल हो चुका था। प्रसव के समय आशा की सतर्कता और पीएचसी में प्रसव प्रबंधन से मेरा प्रसव सरल हो पाया। संस्थागत प्रसव की तैयार हो रही लाइन लिस्ट
हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों को कम करने के लिए राज्य में विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया है, जिनमें जननी सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना प्रमुख हैं।  इन योजनाओं के अंतर्गत, गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता और नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा प्रदान की जाती है। सभी जिलों में एचआरपी की लाइन लिस्ट भी तैयार की जा रही है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी को कम करने के लिए सभी स्तरों पर गंभीर प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, स्वास्थ्य कर्मी, और समुदाय का सहयोग अहम है। गर्भवती महिलाओं को समय पर और उचित चिकित्सा सहायता मिल सके, इसके लिए जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की जरूरत है।

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