होली के हर्षोल्लास में मिट गई दूरियां, होली के जश्न में डूबा पूरा शहर

सहरसा:-जिले भर में रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाई गई। होलिका दहन के साथ इसका जश्न शुरू हुआ और शुक्रवार को रंगो की होली खेली गई। होली के हर्षोल्लास में सारी दूरियां मिटाकर लोग होली के जश्न में पूरी तरह डूब गये थे और होली का जश्न पूरे जोश और हर्षोल्लास के साथ मनाया। सब जगह रंगों की बौछार हुई।           पूरा माहौल सतरंगी हो गया। होली के दिन लोग सारे गिले-शिकवे मिटाकर होली के रंगों में पूरे तरह डूब गए थे। लोग अपनों के साथ होली खेल रहे थे और एक दूसरे को रंगों की उत्सव की बधाई दे रहे थे। होली के अवसर पर बाहर रहने वाले लोग अपने घर पहुंच कर परिवार के साथ मिलकर होली पर्व मना रहे थे। लोगों के घरों में पुआ, पूड़ी, खीर समेत विभिन्न व्यंजन बनाया गया था पूरे परिवार एक जगह बैठकर खा रहे थे। वैसे भी होली का मतलब ही होता हैं मस्ती। रंगों के इस त्योहार से एहसास होता है कि बिना रंगों के इंसान का जीवन कितना बदरंग और बेनूर हैं। तभी तो कहा भी गया है होली के दिन लोगों के दिल भी मिल जाते हैं और लाल-पीले-हरे-नीले रंगों में लिपटकर सारे गिले-शिकवे भी मिट जाते हैं।          होली पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली का पर्व हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। सभी लोग इस दिन अपने सारे गिले-शिकवे को भूलकर एक दूसरे के गले लगाते हैं। होली का रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है और रिश्तों में प्रेम तथा अपनत्व का रंग भरता है। बदलते परिवेश में पुरानी संस्कृति विलुप्त होती जा रही है। आज फूहड़ गीत लोगों के सामने परोसे जा रहे हैं। इससे मारपीट की घटनाएं बढ़ गई है।       सभ्य परिवार के लोग होली खेलने से परहेज करने लगे हैं। अब होली पर्व का महत्व ही समाप्त हो चुका है। आज के दौर में पर्व को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए पुलिस जवानों को तैनात किया जाता है। पहले फागुन माह में मोहल्लों में पारंपरिक होली गीत की शोर होने लगती थी। जो अपनी संस्कृति का एहसास कराता था। लेकिन आज ध्वनि विस्तारक यंत्र पर होली गीत बजाये जाते हैं। इन गीतों की धुन में अश्लीलता भरा रहता है।                       खासकर समाज की महिलाओं को शर्मसार होना पड़ता है। पहले होली पर्व पर लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर बधाई देते थे और बुजुर्गों का पैर छुकर आशीर्वाद लेते थे। लेकिन धीरे-धीरे ये सब चीजें भी समाप्त होते जा रहे हैं।

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