राज्य में टीबी एमडीआर मरीजों के लिए नई दवा बी पाल एम की हुई शुरुआत

पटना:- राज्य में टीबी एमडीआर मरीजों के उपचार में नया अध्याय जुड़ा है। रीजीम बी पाल एम दवा छह महीने का कोर्स है। इसे 14 वर्ष से ऊपर के लोगों को ही दिया जाएगा। भागलपुर जिला से बी पाळम रेजिमेन के तहत ड्रग रेजिस्टेंट टीबी मरीजों को दवा देने की शुरुआत की गई है। एमडीआर के उपचार में आने वाली यह नई रीजीम काफी असरदार है। एमडीआर टीबी की घातक अवस्था है। बी पाल एम को देने के पहले मरीज की अनेक तरह की जांच होती है। इसके बाद ही दवा मरीजों को दी जाती है। जिन मरीजों को दवा दी जाती है उनके डोज को प्रतिदिन दो आधार पर ट्रेस किया जाता है। इनमें पहला होम विजिट और दूसरा डिजिटल एढेरेंस सिस्टम है। गलत तरीके से दवाओं के सेवन से हो सकता है एमडीआर:-एमडीआर टीबी की समस्या टीबी के मरीजों में इलाज के दौरान गलत तरीके से दवाओं के सेवन अथवा दवा के पूरे कोर्स का सेवन नहीं करने के कारण भी होती है। जब मरीज टीबी का इलाज करा रहा होता है उस दौरान टीबी की दवाओं का सही तरीके से सेवन न होने या दुरुपयोग होने की वजह से एमडीआर टीबी हो जाता है।          इस समस्या में मरीजों के शरीर में मौजूद ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो जाते हैं कि इनपर दवाओं का असर बिल्कुल भी नहीं होता है। इसके अलावा एमडीआर टीबी का दूसरा सबसे बड़ा कारण एमडीआर मरीज के संपर्क में आना है। ऐसे मरीज जो एमडीआर टीबी की समस्या से पीड़ित हैं,उनके संपर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है।

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