प्रभावित गांवों में आशा कार्यकर्ताएं घर-घर करेंगी कालाजार के लक्षण वाले मरीजों की खोज

बक्सर:- कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसके तहत हाल ही में जिले में प्रभावित इलाकों में इंडोर रेसिडेंशियल स्प्रे (आईआरएस) के तहत दवाओं का छिड़काव संपन्न कराया गया। वहीं, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय द्वारा प्रभावित गांवों में घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत प्रभावित गांवों में आशा कार्यकर्ताएं घर घर जाकर परिवार के सदस्यों में कालाजार के लक्षण की जांच करेंगी।           साथ ही, उसकी रिपोर्ट संबंधित प्रखंड अंतर्गत प्राथिमक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को देंगी। वहीं, खोज अभियान के दौरान यदि किसी में कालाजार के लक्षण दिखाई देते है तो स्वास्थ्य टीम उक्त मरीज के घर जाकर लक्षणों की जांच करेगी। जिसमें कालाजार की पुष्टि होने पर उसका इलाज शुरू किया जाएगा। इस क्रम में गुरुवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार व बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह ने हरी झंडी दिखाकर अभियान की शुरुआत की। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले तीन सालों में मिले मरीजों के आधार पर बड़का नुआंव पंचायत के बड़का नुआंव व गोप नुआंव गांव के अलावा चुरामनपुर पंचायत के साहोपारा व पड़री गांव में घर घर कालाजार रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि घर घर खोज अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सभी लोगों को कालाजार के संबंध में जागरूक भी किया जाएगा। साथ ही, उन्हें इलाज की पूरी जानकारी दी जाएगी। मौके पर बीएचआई उदय कुमार, आशा फैसिलिटेटर माया देवी व आशा कार्यकर्ता मंजू देवी भी मौजूद रही। पीकेडीएल कालाजार उन्मूलन की राह में एक बड़ी बाधा:-डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार उन्मूलन की राह में पीकेडीएल (त्वचा का कालाजार) एक बड़ी बाधा साबित होता है, क्योंकि इसका संक्रमण तेजी से फैलता है।पीकेडीएल एक ऐसी स्थिति है, जब एलडी बॉडी नामक परजीवी त्वचा कोशिकाओं पर आक्रमण कर उन्हें संक्रमित कर देता और वहीं रहते हुए विकसित होकर त्वचा पर घाव के रूप में उभरने लगता है। इसके कारण मरीज को बार-बार बुखार आने लगता है। साथ ही, भूख में कमी, वजन का घटना, थकान महसूस होना, पेट का बढ़ जाना आदि इसके लक्षण के रूप में दिखाई देने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति को तुरंत नजदीक के अस्पताल में जाकर अपनी जांच करानी चाहिए। ठीक होने के बाद भी कुछ व्यक्ति के शरीर पर चकत्ता या दाग होने लगता है। उन्होंने बताया कि पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है।           इसके लिए लगातार 12 सप्ताह तक लगातार दवाओं का सेवन करना पड़ता है। साथ ही, इलाज के बाद मरीज को 4000 रुपये का आर्थिक अनुदान भी सरकार द्वारा दिया जाता है। इसलिए पीकेडीएल से बचने के लिए मरीजों को कालाजार के इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने की सलाह दी जाती है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com