राष्ट्रव्यापी प्री-खरीफ विकसित कृषि संकल्प अभियान का समापन: वैज्ञानिक अनुसंधान और खेतों के बीच की दूरी पाटने पर रहा प्रमुख ज़ोर

पटना:-कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की एक प्रमुख पहल “विकसित कृषि संकल्प अभियान” गुरुवार को संपन्न हुआ।           इस अभियान का समापन समारोह गुजरात के बारडोली में आयोजित किसान महासम्मेलन के रूप में संपन्न हुआ। इस अवसर पर देश के कृषकों को संबोधित करते हुए माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिक अनुसंधान को जमीनी स्तर की खेती से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। यह महत्त्वपूर्ण 15 दिवसीय कृषि जागरूकता अभियान 29 मई, 2025 को पुरी, ओडिशा से आरंभ हुआ था, जिससे देशभर में एक करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए। इस अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य विभागों, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों तथा अन्य संस्थाओं की टीमों ने किसानों के घर-घर जाकर तकनीकी सलाह और सरकार की योजनाओं की जानकारी प्रदान की। बिहार में इस अभियान का शुभारंभ 29 मई, 2025 को उपमुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा किया गया, जबकि झारखंड में इसका उद्घाटन रांची में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ द्वारा किया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दिनांक 2 जून, 2025 को बिहार के मोतिहारी का दौरा कर किसानों से वैज्ञानिक खेती के बारे में संवाद किया।           इसके अतिरिक्त कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने भी बिहार में कई कार्यक्रमों में भाग लेकर किसानों से संवाद किया। समापन समारोह का आयोजन दरभंगा में हुआ, जिसमें विजय कुमार सिन्हा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विभिन्न राज्यों के मंत्रीगण, सांसद एवं विधायकगणों ने भी किसानों को संबोधित किया। यह कार्यक्रम जमीनी स्तर पर अत्यंत सफल रहा तथा लाखों किसानों ने सरकारी योजनाओं एवं वैज्ञानिक कृषि सलाह का लाभ उठाया। इस व्यापक अभियान के माध्यम से बिहार एवं झारखंड के 62 जिलों के 7757 से अधिक गांवों में लगभग 8.58 लाख किसानों तक पहुंच सुनिश्चित की गई। इसमें बिहार में महिलाओं की भागीदारी लगभग 30% और झारखंड में 53% रही। बिहार में 103 बहुविषयक टीमों तथा झारखंड में 58 टीमों ने इस अभियान के सफल क्रियान्वयन में योगदान दिया। कृषि विज्ञान केन्द्रों ने अपने-अपने जिलों के अधिकांश प्रखंडों को कवर किया।    किसानों को धान, मक्का, अरहर, मोटे अनाज, फल एवं सब्जियों की उच्च उत्पादकता वाली किस्मों को अपनाने की सलाह दी गई। सूखा, जलभराव, एवं जैव-संवर्धित किस्मों की जानकारी दी गई।धान की सीधी बुआई, समेकित कृषि प्रणाली, पशुपोषण एवं स्वास्थ्य प्रबंधन पर तकनीकी ज्ञान साझा किया गया। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, प्राकृतिक खेती, समेकित कीट प्रबंधन, संतुलित उर्वरक उपयोग तथा जलवायु सहनशील खेती को भी बढ़ावा दिया गया। पशुपालन, मछलीपालन और अन्य सहायक क्षेत्रों की जानकारी भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसानों को दी गई। राज्य विभागों के अधिकारियों ने केंद्र और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं की जानकारी किसानों को दी ताकि वे इनका लाभ उठा सकें। कई स्थानों पर इफको टीम के सहयोग से ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन किया गया, जो किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। किसानों से फीडबैक भी एकत्र किया गया, जिसमें कई महत्वपूर्ण समस्याएं सामने आईं जैसे कि बीजों की घटिया गुणवत्ता, बुवाई सामग्री की समय पर अनुपलब्धता, उर्वरकों की बढ़ती कीमतें, खाद एवं कीटनाशकों की समय पर अनुपलब्धता, पशुपालन संबंधी सेवाओं का अभाव, तथा टीकाकरण एवं कृमिनाशन के प्रति जागरूकता की कमी। इसके अलावा, खेती के मौसमों में कृषि मजदूरों की कमी, सिंचाई की समस्या, तथा नीलगाय व जंगली सूअर जैसी वन्य जीवों से फसलों को होने वाली क्षति भी किसानों की प्रमुख चिंताओं में शामिल रही। इससे यंत्रीकरण और सस्ते कृषि यंत्रों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता स्पष्ट हुई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना इसकी रांची स्थित इकाई तथा दो कृषि विज्ञान केंद्र (रामगढ़ और बक्सर) ने बिहार एवं झारखंड में इस अभियान में पूर्ण उत्साह के साथ भाग लिया।          इन संस्थानों की 32 टीमों ने करीब दो लाख किसानों तक सीधा संपर्क किया। किसानों से प्राप्त फीडबैक और समस्याओं का उपयोग भविष्य की अनुसंधान रणनीति एवं नीति निर्माण में किया जाएगा, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, विश्वविद्यालयों एवं राज्य कृषि विभागों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। विकसित कृषि संकल्प अभियान के समापन के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा नौबतपुर गांव में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहाँ किसानों ने वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों से बेहतर खेती प्रणाली, समेकित कृषि प्रणाली, उच्च उत्पादक किस्में, उच्च मूल्यवर्धित फल-सब्जियाँ, मार्केट लिंकेज और कस्टम हायरिंग सेंटरों की आवश्यकता जैसे विषयों पर चर्चा की।

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