लिम्फेडेमा रोगियों की पहचान और ग्रेडिंग को लेकर आयोजित होगा विशेष शिविर

पटना:- लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) उन्मूलन अभियान को गति देने और रोगियों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की जा रही है. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत लिम्फेडेमा (हाथ-पैर में स्थायी सूजन) से ग्रसित व्यक्तियों की पहचान और सात स्तरों पर ग्रेडिंग के लिए विशेष शिविरों के आयोजन का निर्देश दिया गया है. इस संबंध में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉ. तनु जैन ने सभी राज्यों को पत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि ग्रेडिंग की प्रक्रिया पूरी किए बिना रोगियों का डेटा इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म पर अपलोड नहीं किया जा सकेगा, जिससे आगे की योजना बाधित हो सकती है. इसलिए शीघ्रता से सर्वे, पहचान और ग्रेडिंग कर रोगियों की सूची को अपडेट किया जाना अनिवार्य है। क्या है लिम्फेडेमा और क्यों जरूरी है ग्रेडिंग? लिम्फेडेमा (फ़ाइलेरिया) एक प्रकार का दीर्घकालिक रोग है, जिसमें हाथ या पैर में सूजन आ जाती है. समय पर उपचार और देखभाल के अभाव में यह स्थिति गंभीर हो सकती है और व्यक्ति की शारीरिक क्षमता को प्रभावित कर देती है. ग्रेडिंग प्रक्रिया से न केवल सही इलाज में मदद मिलती है, बल्कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत लाभ दिलाना भी संभव हो पाता है।
ग्रेडिंग के सात स्तर इस प्रकार हैं:-
1. उलटने योग्य सूजन
2. स्थायी सूजन
3. हल्के मोड़
4. गांठ जैसी सूजन
5. गहरे मोड़
6. खुरदरी परतें या चर्म रोग
7. अशक्त करने वाली स्थिति
इन अवसरों पर की जाएगी ग्रेडिंग:-
• एमएमडीपी किट वितरण के समय
• एमएमडीपी क्लीनिक विजिट के दौरान
• प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयोजित विशेष शिविरों में
• आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर सीएचओ द्वारा
सरकारी योजनाओं में मिलेगा लाभ:-
केंद्र सरकार की अधिसूचना (जनवरी 2018) के अनुसार, ग्रेड 3 या उससे ऊपर के लिम्फेडेमा रोगियों को 40% या उससे अधिक विकलांगता की श्रेणी में शामिल किया जाता है. इसके आधार पर वे सरकारी लाभों के पात्र होंगे:-
• विकलांगता प्रमाण पत्र
• कस्टमाइज्ड फुटवियर
• सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
• पुनर्वास सेवाएं एवं दिव्यांगजन योजनाएं
सटीक पहचान और ग्रेडिंग अनिवार्य:-
डॉ. अनुज सिंह रावत, राज्य सलाहकार, फ़ाइलेरिया ने बताया कि लिम्फेडेमा रोगियों को गरिमामयी जीवन जीने और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सटीक पहचान और ग्रेडिंग अनिवार्य है. यह न केवल एलएफ उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि सामाजिक समावेशिता की दिशा में भी एक बड़ी पहल है.

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