दुनिया की सबसे खतरनाक मेड इन इंडिया राइफल, भारतीय सेना को मिली 48 हजार AK-203 गन

डेस्क:-इंडो-रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) की AK-203 परियोजना भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का एक बड़ा कदम है।    48000 राइफल्स की डिलीवरी, शून्य शिकायतें और 2030 तक 06 लाख राइफल्स का लक्ष्य इसे खास बनाता है। “शेर” नाम से पहचान बनाने वाली यह राइफल न सिर्फ सेना को मजबूत करेगी बल्कि विश्व बाजार में भी भारत का परचम लहराएगी।इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड अमेठी उत्तर प्रदेश में “मेड इन इंडिया” AK-203 राइफल्स का निर्माण हो रहा है। पिछले 18 महीनों में 48000 राइफल्स भारतीय सेना को सौंपी जा चुकी हैं। 15 अगस्त 2025 तक 7000 और राइफल्स डिलीवर होंगी। यह परियोजना भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन रहा है।आईआरआरपीएल ने रूस के साथ 100 प्रतिशत तकनीक ट्रांसफर पूरा कर लिया है। अभी 50 प्रतिशत स्वदेशीकरण हासिल हो चुका है जो अक्टूबर 2025 तक 70 प्रतिशत और 31 दिसंबर 2025 तक 100 प्रतिशत हो जाएगा।           इसके बाद AK-203 का नया नाम “शेर” होगा। पूरी तरह स्वदेशी होने के बाद हर महीने 12000 राइफल्स बनेगा। यानी हर 100 सेकंड में एक राइफल। सालाना लगभग 01.05 लाख राइफल्स का उत्पादन होगा। अभी तक 48000 राइफल्स सेना को दी जा चुकी हैं। अगस्त 2025 में 7000 और दिसंबर 2025 में 15000 राइफल्स डिलीवर होंगी। कुल 601427 राइफल्स का ऑर्डर दिसंबर 2030 तक पूरा होगा जो मूल समय-सीमा दिसंबर 2032 से 22 महीने पहले है। यह 5200 करोड़ रुपये की परियोजना है जो “मेक इन इंडिया” के तहत अमेठी में शुरू की गई है। AK-203 07.62×39mm की गोलियां चलाती है। प्रति मिनट 700 राउंड फायर कर सकती है। इसकी रेंज 800 मीटर है। यह राइफल हल्की, टिकाऊ और हर मौसम में विश्वसनीय है। 15 अगस्त 2023 को पहला राइफल कोरवा प्लांट में तैयार हुआ था। अब सारा मैटेरियल भारत से ही लिया जा रहा है। कोरवा प्लांट में देश का सबसे उन्नत छोटे हथियारों का टेस्टिंग लैब है जहां भारतीय सेना की DGQA टीम राइफल्स का परीक्षण करती है। अब तक डिलीवर की गई सभी राइफल्स में शिकायतें शून्य हैं। सेना इंसास राइफल्स को पूरी तरह हटाने की योजना बना रही है। AK-203 इसे रिप्लेस करेगा। आईआरआरपीएल के सीएमडी मेजर जनरल एसके शर्मा ने बताया कि शुरुआत में रूस ने AK-103 ऑफर की थी। लेकिन तत्कालीन डीजी इन्फेंट्री जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नवीनतम AK-203 और वह भी “मेड इन इंडिया” की मांग की। यही वजह रही कि यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ।           शर्मा कहते हैं कि हम भारत के लिए बनाएंगे और निर्यात भी करेंगे। कई देशों ने AK-203 के प्रदर्शन से प्रभावित होकर रुचि दिखाई है। हम अन्य हथियारों पर भी काम कर रहे हैं।

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