शिक्षक दिवस की उपेक्षा एवं वेतन भुगतान में देरी पर शिक्षकों में गहरा आक्रोश:-संघ

प्रभारी डीईओ राशिद नवाज़ से हुई बड़ी चूक नहीं मना शिक्षक दिवस
अररिया:-इस वर्ष जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के द्वारा शिक्षक दिवस का औपचारिक आयोजन नहीं किया गया तथा साथ ही हजारों शिक्षकों का वेतन भुगतान भी लंबित रखा गया। ये बातें विशिष्ट अध्यापक प्रधान शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रशांत कुमार ने कही उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस का औपचारिक आयोजन नहीं होने तथा शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं होने से शिक्षक समुदाय में गहरी असंतोष एवं निराशा व्याप्त है। शिक्षक दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह दिन शिक्षकों के योगदान को स्मरण करने और समाज में उनके महत्व को रेखांकित करने का अवसर है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता है, जो शिक्षा और संस्कार की परंपरा को सुदृढ़ करने का प्रतीक है।                  ऐसे अवसर पर शिक्षकों की उपेक्षा न केवल उनके मनोबल को प्रभावित करती है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गरिमा पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षकों का वेतन भुगतान में अनावश्यक विलंब एवं शिक्षक दिवस जैसे अवसर की उपेक्षा, दोनों ही घटनाएँ अस्वीकार्य हैं। शिक्षक समाज संसाधनों की कमी और प्रशासनिक चुनौतियों के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। ऐसे में समय पर वेतन भुगतान न होना उनके पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं। उनके सम्मान और अधिकारों की अनदेखी किसी भी सभ्य समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल आवश्यक कदम उठाए। उन्होंने मांग कि है कि शिक्षकों का वेतन भुगतान हर माह पहली तारीख को हो यह सुनिश्चित किया जाए। शिक्षक दिवस जैसे अवसर को विभाग द्वारा सम्मानपूर्वक आयोजित किया जाए। भविष्य में इस प्रकार की उपेक्षा न हो, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएँ। शिक्षकों की गरिमा एवं सम्मान की पुनः स्थापना के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। उन्होंने कहा कि डीईओ संजय कुमार सोमवार को छुट्टी से लौट रहे हैं जैसे ही वह अररिया आयेंगे संघीय शिष्टमंडल उनसे मुलाकात कर जायज़ मांगों पर तत्काल संज्ञान लेने एवं उनका समाधान करने का अनुरोध करेंगे। मांगों का समाधान नहीं किया जायेगा तो संगठन विवश होकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने को बाध्य होंगे। जिसकी संपूर्ण जवाबदेही शिक्षा विभाग की होगी।

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