जननायक कर्पूरी ठाकुर शताब्दी समारोह का किया गया आयोजन

सहरसा:- प्रेक्षागृह में जननायक कर्पूरी ठाकुर शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। खचाखच भरा प्रेक्षागृह में कर्पूरी जी के विचारों से भरा रेडियो क्लिप को सुनाया गया।कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की वीडियो क्लिपिंग भी उपस्थित बच्चे-बच्चियों को दिखायी गयी।           भारत रत्न से मरणोपरांत नवाजे गए इस महापुरूष के निर्णय देश एवं दुनिया के लिये कई मायने में मील का पत्थर साबित हुआ। सामाजिक न्याय के पुरोधा जननायक जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दी जिससे दूर-दराज गांवों के बच्चे भी अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा सकें।वे पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने मैट्रिक तक मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान किया। उर्दू को दूसरी राजभाषा बनाया। अपर समाहर्ता श्री ज्योति कुमार ने जननायक को सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा पुरोधा बताया। उन्होंने उनके सादगीपूर्ण जीवन की कहानियों से सबको रूबरू कराया।उनके गरीबी को उनके आगे बढ़ने में मदद करने का प्रेरक तत्व बताया। उनके जीवनी को पढ़ने के लिये सभी उपस्थित दर्शकों को बताया।            सादगी के मिशाल जननायक अपने जीवन के अंतिम क्षण में भी पूर्ण सादगी के साथ ही अंतिम सांसें ली। ओबीसी कन्या उच्च विद्यालय की छात्राएं जननायक के जीवन से जुड़ी लघु नाटिका प्रस्तुत की जिसमें उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री के उनके घर में आगमन की स्थिति का सजीव प्रदर्शन किया गया। राजकीय कन्या विद्यालय,रूपबती विद्यालय एवं अन्य विद्यालयों से आए बच्चे, बच्चियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी।

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