टीबी के इलाज के दौरान दवाओं के सेवन में अनियमितता न बरते मरीज:- डॉ. शालिग्राम

बक्सर:-सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस क्रम में जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने भी टीबी की योजनाओं और सेवाओं का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने का निर्देश दिया है। ताकि, लोगों में जागरूकता फैले और इसे जल्द से जल्द मिटाया जा सके। इस क्रम में जिला यक्ष्मा केंद्र अब वृहद् स्तर पर लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ है। जिसमें जनप्रतिनिधियों के साथ साथ निक्षय मित्र भी अपना सहयोग दे रहे हैं। वहीं, टीबी मरीजों को निक्षय मित्रों के माध्यम से फूड बास्केट तो उपलब्ध कराई ही जा रही है। साथ ही, मरीजों को दवा उपलब्ध कराने के साथ साथ उनकी निगरानी भी की जा रही है। ताकि, कोई भी मरीज इलाज अवधि के दौरान दवाओं का सेवन बंद ना करे। छोड़ने से ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के शिकार बन जाते हैं:-डीपीसी कुमार गौरव ने बताया, टीबी लाइलाज रोग नहीं है। इसका संपूर्ण और निःशुल्क इलाज सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। टीबी की दवा बीच में छोड़ना खतरनाक है। पूरा कोर्स करना जरूरी है, तभी टीबी से मुक्ति मिल सकती है। दवा शुरू होने के एक माह बाद ही रोगी स्वस्थ महसूस करने लगते हैं।            ऐसे में कई रोगी दवा छोड़ देते हैं। बीच में दवा छोड़ने से वे ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के शिकार बन जाते हैं, जिनका उपचार मुश्किल हो जाता है। वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दवाइयां छोड़ते तो हैं लेकिन जब उन्हें परेशानी होती है तब वो बिना जांच के ही दवाएं खा लेते हैं। जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में मरीज एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट) टीबी की चपेट में आ जाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना जरूरी:-डीपीसी कुमार गौरव ने बताया, टीबी मरीजों को सरकार इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये की सहायता राशि भी दे रही है। बेहतर पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर टीबी जैसे गंभीर रोग से बचा जा सकता है। इसके लिए खासकर प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। कमजोर इम्युनिटी से टीबी की बैक्टीरिया के सक्रिय होने की संभावना अधिक होती है। टीबी की बैक्टीरिया शरीर में ही होती है, लेकिन अच्छी इम्युनिटी से इसे सक्रिय होने से रोका जा सकता है। टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है:-जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी, खांसी के साथ बलगम का आना, कभी-कभी बलगम के साथ खून का आना, भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना, सांस उखड़ना या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना इत्यादि टीबी के लक्षण हो सकते हैं। टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि हिस्से में हो सकती है। टीबी के बैक्टीरिया का खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से संक्रमण फैलता है। इसलिए मरीज को मास्क का उपयोग करना जरूरी है।

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