प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान एएनसी जांच में बिहार को देश में तीसरा स्थान

पटना:-मातृ स्वास्थ्य एवं सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) अभियान में बिहार इस वर्ष फरवरी में पूरे देश में तीसरे स्थान पर रहा। पिछले साल नवम्बर माह में बिहार दूसरे स्थान पर था। फरवरी माह में उत्तर प्रदेश पहले और आन्ध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर था। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत पूरे देश में गर्भवतियों के दूसरे और तीसरे त्रैमासिक में प्रसव पूर्व जांच की जाती है। इस जांच से प्रसव की जटिलताओं और खतरों का पहले से अंदाजा लगाया जाता है और उसके अनुरूप गर्भवती का उपचार और प्रबन्धन किया जाता है। इस अभियान का उद्देश्य प्रसव के दौरान होने वाले मातृ मृत्यु अनुपात और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2015 में सतत विकास लक्ष्य के तहत मातृ मृत्यु अनुपात को वर्ष 2030 तक घटाकर 70 प्रति लाख करने का लक्ष्य रखा है। सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) 2018-20 के अनुसार, बिहार में मातृ मृत्यु अनुपात वर्ष 2011-13 में 208 था जो वर्ष 2022—23 में घटकर 118 पर आ गया है। बिहार में दिसंबर 2023 तक करीब 97 प्रतिशत गर्भवतियों को प्रसव पूर्व जांच की सुविधा दी गयी। इस अभियान का संचालन प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में माह के 9 एवं 21 तारीख को किया जाता है। बिहार में 9 नवंबर 2023 को 22 जिलों के 106 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी इस अभियान को शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान देश में मातृ मृत्यु अनुपात में कमी लाने में बड़ा कारक बन रहा है।             अभियान के तहत मिलने वाली गुणवत्तायुक्त एएनसी और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अकेले फरवरी माह में 53 हजार 766 एएनसी जांच के साथ उत्तर प्रदेश पहले और 29 हजार 85 एएनसी जांच के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा। इसी अवधि (फरवरी माह) में बिहार में 24 हजार 446 प्रसव पूर्व जांच की गयी और राज्य को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। मातृ मृत्यु अनुपात में कमी के लिए गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच जरूरी:-एम्स पटना की असस्टिेंट प्रोफेसर डॉ मोनिका अनंत के अनुसार, गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच उसके गर्भावस्था के दौरान अनिवार्य है। इससे उच्च जोखिम वाली गर्भवतियों की पहचान आसान हो जाती है। उन्होंने बताया कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान होने वाले परीक्षणों से गर्भवती के शिशु को भी स्वस्थ रखने में सहायता मिलती है। इससे शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। बेहतर संचालन के लिए राज्य में एक्सटेंडेड पीएमएसएमए:-उल्लेखनीय है कि राज्य में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के संचालन के लिए एक्सटेंडेड पीएमएसएमए की शुरुआत की गयी है। इसके तहत उच्च जोखिम वाली महिलाएं, हीमोग्लोबिन प्रतिशत, एचआईवी, सिफलिस, रक्तचाप, यूरिन एबी के साथ, एब्डोमेन का टेस्ट भी किया जाता है। पीएमएसएमए के साथ राज्य में सुमन, लक्ष्य, कायाकल्प, मिडवाइफरी, युक्ति योजना, सुरक्षित गर्भपात के प्रशिक्षण, गुणवत्ता यकीन कार्यक्रम समेत अन्य कार्यक्रम मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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