50 फीसद कमीशन लेकर किताबें बेच रहे प्राइवेट स्कूल, शिक्षा विभाग खामोश

अभिभावकों का हो रहा है शोषण:-रौशन झा आजाद

सहरसा:- प्राइवेट स्कूलों ने निजी प्रकाशकों के साथ मिलकर अभिभावकों को लूटने का काम शुरू कर दिया है। जिन स्कूलों में बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें पढ़ानी चाहिए, वे निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने को मजबूर कर रहे हैं। क्योंकि प्रकाशकों की ओर से स्कूलों को मोटा कमीशन दिया जा रहा है। यह कमीशन 20 से 50 फीसद है। किताबें कौन से प्रकाशक की लगेगी यह भी कमीशन पर निर्भर है। गलियों में ही खुल गए किताबों के दुकान:- ज्यादातर जगहों पर अभिभावकों को किताबें स्कूल के अंदर से ही उपलब्ध कराई जा रही है, क्योंकि अब कार्रवाई का डर रहता है, इसलिए गत वर्ष तक सड़क किनारे स्टॉल लगाकर किताबें बेची गई। अब किताब बेचने के तरीके में थोड़ा बदलाव किया गया है। सामने स्टॉल लगाने के बजाय गलियों में गोदाम खोल लिए है। अभिभावक जब बच्चों को दाखिला दिलाने आते हैं तो ठिकाने की जानकारी दे दी जाती है।             ये काम ज्यादातर उन स्कूलों में हो रहा है, जिनके पास सीबीएसई की मान्यता है। ऐसे स्कूलों की संख्या 8 के करीब है। जबकि अन्य निजी स्कूलों की संख्या लगभग 150 के आसपास है। हर साल बदल देते हैं सिलेबस:-प्राइवेट स्कूलों की तो मनमानी यह है कि वे हर वर्ष नए सिलेबस की किताबें लगा रहे हैं। ऐसे में अगर किसी का बच्चा दूसरी कक्षा में पढ़ता है तो पहली कक्षा वाले बच्चे के काम ये किताब नहीं आएगी। 20 से 30 पेज की प्रथम, यूकेजी कक्षा की किताबों पर 350 रुपये रेट अंकित है। ये किताबें उसी जगह मिलेंगी, जिसका पता स्कूल बताता है। ये किताबे बाजार में किसी दुकान पर नहीं मिलेगी। नर्सरी की कई किताब तो ऐसी है, जिनमें एक पेज पर केवल ए फॉर एपल ही लिखा है। स्कूलों के अंदर ही बेची जा रहीं अभिभावकों को किताबें, इन किताबों का बिल भी नहीं दे रहे प्रकाशक, पहले से बनाकर रखे हैं सेट:- निजी प्रकाशकों को पता है कि अभिभावकों को स्कूल की किताब तो उनके पास से ही लेनी है। इसलिए उन्होंने पहले से ही किताबों के सेंट बनाकर रखें है। आपको सिर्फ कक्षा का नाम लेना है। 15 से 22 किताबों का सेट आपके हाथ में होगा।अभिभावक को आधी किताबें नहीं मिलती। 5581 रुपये की मिली तृतीय कक्षा की बुक:-अभिभावक सूरज कुमार झा ने बताया कि उसका भतीजा एक निजी स्कूल में तृतीय कक्षा में गया है। स्कूल से उसे उस बुकसेलर का विजिटिंग कार्ड भी दिया, जहां से किताबें मिलनी है। स्कूल के सामने ही गली में किताबों का गोदाम था। वहां से किताबें ली तो तृतीय कक्षा का सेट 5581 रुपये का मिला। अब तक किसी स्कूल पर कार्रवाई नहीं:-एक अप्रैल से स्कूलों में नयी शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया। स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया भी जोरो पर चल रही है। परंतु अभी तक शिक्षा विभाग ने किसी भी निजी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की है। जबकि अधिकारियों को केवल स्कूल में जाकर छापामारी करनी है। उन्हें किताबों के ढ़ेर दिख जाएंगे। युवा समाजसेवी रौशन झा आजाद ने कहा कि अभिभावकों का शोषण हो रहा है। स्कूल और निजी प्रकाशकों की दादागिरी पर प्रशासन भी चुप है और अभिभावकों के हित के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही है। प्रशासन ने निर्देश जारी किए थे कि सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जाएगी पर कोई भी निजी स्कूल इसका पालन नहीं कर रहा। सब अपनी मर्जी से प्राइवेट पब्लिशर की किताबों की सूची अभिभावकों को थमा रहे हैं। इस संबंध में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार से संपर्क साधा तो बात नहीं हो पाई।

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