आयुक्त की अध्यक्षता में कम्प्यूटर, सूचना सुरक्षा ग्राहक एवं जन सामान्य साईबर सुरक्षा जागरूकता संबंधी कार्यशाला का किया गया आयोजन

सहरसा:- प्रमंडलीय सभागार में आयुक्त कोशी प्रमंडल नीलम चौधरी की अध्यक्षता में कम्प्यूटर, सूचना सुरक्षा ग्राहक एवं जन सामान्य साईबर सुरक्षा जागरूकता संबंधी कार्यशाला का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर मुख्य प्रबंधक (प्रणाली) एसबीआई राकेश कान्त चौधरी के द्वारा साईबर खतरों एवं इनसे बचाव के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।          वर्तमान में साईबर ठगों द्वारा विभिन्न तरीकों से आर्थिक ठगी करने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे बचने की आवश्यकता है। तकनीक की मदद से हमारे कई काम बहुत आसान हो गये हैं, साथ हीं इससे गम्भीर परिस्थिति भी परिलक्षित हो रही है, जिसमें साईबर फ्रॉड सबसे महत्वपूर्ण है। मुख्य प्रबंधक (प्रणाली) एसबीआई द्वारा बताया गया कि ऑनलाईन दुनिया में किसी भी प्रकार के वित्तीय लेनदेन करते समय हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है। डिजिटल ट्रांजेक्शन के दौरान विभिन्न तरीकों से साईबर ठगी को अंजाम दिया जा सकता है जिससे बचना अति आवश्यक है। साईबर ठगी का सबसे आसान तरीका लोगों की पहचान चुराना है। इसके लिए साईबर अपराध में संलिप्त ठग द्वारा आधार, पेन कार्ड, बैंक से जुड़ी जानकारी की मांग की जा सकती है। इस निजी जानकारी की मदद से साईबर ठग खाते से अवैध रूप से राशि की निकासी कर लेते हैं। इसलिए किसी भी अंजान व्यक्ति से खाता संबंधी जानकारी, ओटीपी, आधार, पेन, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि शेयर नहीं करना चाहिए। आजकल प्रायः ऐसा देखा जा रहा कि साईबर ठग ऑनलाईन जॉब, लॉटरी, शॉपिंग आदि के नाम पर भी खाता विवरणी संबंधी जानकारी इकट्ठा कर संबंधित व्यक्ति के खाते से राशि की अवैद्य निकासी कर रहे हैं। इसलिए ऑनलाईन जॉब फॉड से बचने की आवश्यकता है।            वित्तीय अपराध में संलिप्त व्यक्ति एटीएम मशीन के साथ भी छेड़छाड़ करके किसी व्यक्ति के कार्ड से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। जिसके फलस्वरूप आर्थिक क्षति होने की संभावना रहती है। अतः एटीएम के माध्यम से राशि की निकासी के समय सावधानी बरतने की जरूरत है। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की स्थिति में तत्काल इसकी सूचना गार्ड को या बैंक प्रबंधन को देना चाहिए। साईबर ठगी का शिकार होने के पश्चात तीन दिनों के अंदर इसकी सूचना टॉल फ्री नम्बर 1930 या 112 पर देना चाहिए, ताकि ससमय साईबर ठग के विरूद्ध यथोचित कारवाई की जा सके। तकनीकी विकास में आधुनिक जीवन शैली को बदल दिया है। समय के साथ इंटरनेट का प्रयोग आमजीवन में बढ़ता जा रहा है, जिससे कई लाभ भी है। साईबर अपराधी नियमित रूप से इंटरनेट पर हमला कर रहे हैं। जिसके फलस्वरूप छोटी सी चूक साईबर अपराधियों के लिए डेटा चोरी का द्वार खोल सकती है। साईबर अपराध मानवीय भूल के कारण घटित होती है। साईबर सुरक्षा जागरूकता महत्वपूर्ण है। उनके द्वारा बताया गया कि साईबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो कम्प्यूटर और नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। इसके अन्तर्गत निजी जानकारी प्राप्त करना, जानकारी मिटाना, उसका गलत इस्तेमाल करना, फेर बदल करना, ऑनलाईन बैंक खातों से पैसा चुराना आदि सम्मिलित है। साईबर ठगी से बचने के लिए आवश्यक है कि कभी भी अपना पिन नम्बर किसी के साथ साझा ना करें। अपना क्रेडिट, डेबिट या एटीएम कार्ड की रसिदों को बैंक, एटीएम या स्टोर में ना छोड़े और ना ही सार्वजनिक स्थान पर फेंके। व्यक्ति सूचना जैसे जन्मतिथि, जन्म स्थान, पारिवारिक विवरण, पता, फोन नम्बर आदि किसी अज्ञात व्यक्ति, संस्था से साझा ना करें। साईबर अपराध के अन्तर्गत अपराधी ई-मेल, कॉल, या एसएमएस के माध्यम से लॉटरी जीतने की सूचना देता है एवं तत्पश्चात खाता संबंधी विवरणी साझा करने के लिए कहता है, किसी भी परिस्थिति में इस प्रकार के भ्रामक सूचना की स्थिति में अपना व्यक्ति सूचना साझा ना करें। प्रायः साईबर ठग खाता बंद, क्रेडिट या डेबिट कार्ड ब्लॉक होने के संबंध में सूचना देकर खाता संबंधी महत्वपूर्ण विवरण प्राप्त करने की चेष्टा करता है। किसी भी परिस्थिति में खाता संबंधी विवरणी साझा ना करें। स्वयं को नियोजक बताने वाली और व्यक्तिगत जानकारी या पैसे के लिए अनुरोध करने वाली फेक कॉल या ई-मेल से सावधान रहना चाहिए।    प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान दी गई जानकारियों के व्यापक प्रचार-प्रसार का भी अनुरोध किया गया है। उक्त अवसर पर आयुक्त के सचिव, उप निदेशक कल्याण, उप निदेशक जन सम्पर्क एवं प्रमंडल अंतर्गत विभिन्न कार्यालय के कर्मीगण उपस्थित थे।

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