जन्मजात विकृतियों को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम

सासाराम:- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्म से 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों को जन्म के समय दोष, कमियां, बीमारियों और विकलांगता सहित कई समस्याओं को निदान करने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह बच्चों को बेहतर ही नहीं बल्कि नई जिंदगी प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष के आयु वाले बच्चों में जन्मजात बीमारियां जैसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (कमर के पास कुबड़/गांठ), क्लेट लीफ प्लेट (कटा तालू), क्लब फुट (पांव का टेड़ापन), कमर का टेड़ापन के अलावा कॉन्टिनेंटल कैटरेक्ट (जन्मजात मोतियाबिंद) मलद्वार संबंधी बीमारी, गर्दन का गांठ जैसी बीमारी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और इसके लिए सरकार पूरी तरह से निशुल्क उपचार व ऑपरेशन की सुविधा मुहैया करवा रही है। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम के तहत बाल हृदय योजना भी हृदय में छेद वाले बच्चों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। हालांकि इस कार्यक्रम को लेकर अभी भी लोगों में जानकारी का अभाव देखा जा रहा है। परंतु राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से संबंधित अधिकारी आंगनबाड़ी तक पहुंच इन बीमारियों से पीड़ित बच्चों की जानकारियां इकट्ठा कर रहे हैं और आंगनबाड़ी के माध्यम से लोगों को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ साथ उपचार के बारे में भी जानकारी इकट्ठा करवा रहे है। आरबीएसके के तहत जिले में 73 बच्चे हो चुके हैं लाभान्वित:-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत रोहतास जिले में अब तक 73 बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।          जिसमें 37 बच्चों को बाल हृदय योजना के तहत दिल में छेद का ऑपरेशन करके उन्हें नई जिंदगी प्रदान की गई है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृतियों में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (कमर के पास कुबड़) वाले 07 बच्चों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। वही क्लेट लीफ प्लेट (कटा तालु) का 06, क्लब फुट (पांव का टेड़ापन) के 14, कमर का टेड़ापन के 01, कॉन्टिनेंटल कैटरेक्ट (जन्मजात मोतियाबिंद) के 04, कार्डियो में बाल हृदय योजना के तहत 37, मलद्वार संबंधी बीमारियों से 02, गर्दन में गांठ से पीड़ित 01 तथा दुर्लभ बीमारी में से एक हाइपोस्पेडियास यानी मूत्रमार्ग में दोष के 1 बच्चे का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। ऑपरेशन के बाद ये सभी बच्चे अब सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।
आरबीएसके के माध्यम से परिवार हो रहा खुशहाल:-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला कोऑर्डिनेटर डॉक्टर नंदकिशोर चतुर्वेदी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत जन्मजात विकृतियों लेकर पैदा हुए बच्चों को सामान्य करने के लिए किया गया है और इसमें सरकार को सफलता भी मिल रही है। बच्चों में कई ऐसी बीमारियां या विकृतियों होती हैं जो जन्म से ही देखने को मिलता है परंतु उसका इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन सभी विकृतियों का इलाज सरकार द्वारा निशुल्क कराए जाते हैं। इनमें से कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनके इलाज में लाखों रुपए का खर्च आता है। जिस कारण गरीब लोग अपने बच्चे का इलाज नहीं करा पाते हैं परंतु अब सरकार के इस कार्यक्रम के तहत ऐसे बच्चों का इलाज पूरी तरह से संभव हो चुका है। डॉ नंदकिशोर चतुर्वेदी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृतियों लेकर पैदा हुए बच्चों का इलाज पूरी तरह से निशुल्क होता है। रोहतास जिले में अब तक छ: दर्जन से अधिक बच्चों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है और ये सभी बच्चे अब सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।

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