प्रकृति प्रदत्त स्वाभाविक प्रक्रिया है मासिक धर्म, इसके प्रति मन में नहीं रखें शर्म

पटना/बिहटा:-मासिक धर्म एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है। इसके प्रति समाज में व्याप्त भ्रांतियों को तोड़ना है। मासिक धर्म के समय शारीरिक स्वच्छता का बहुत अधिक ध्यान रखना है। प्रकृति प्रदत्त इस जैविक प्रक्रिया को लेकर महिलाओं को जागरूक होने और स्वच्छता के उच्च तरीकों को अपनाने की बहुत जरूरत है।           छात्रों में मासिक धर्म को लेकर शर्म की नहीं बल्कि इस जैविक प्रक्रिया की जरुरत के विषय में जानने की जरूरत है। मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं पूरी तरह सक्रिय होकर घर—बाहर या दफ्तरी सभी प्रकार के काम करती हैं। ​मासिक धर्म की स्थिति को अपवित्र मानना या ऐसी ही भ्रांतियों को दूर करना है। यह महिलाओं के शरीर के सामान्य तौर पर काम करने का एक बड़ा संकेत है। यह बातें सहयोगी संस्था द्वारा राजकीयकृत मध्य उच्च विद्यालय नेउरा में आयोजित एक विशेष माहवारी मेला के आयोजन के दौरान संस्था की कार्यकारी निदेशक रजनी ने छात्र-छात्रों से कही। मासिक धर्म स्वच्छता प्रंबधन सप्ताह के अंतिम दिन मासिक धर्म के जैविक पहलुओं और सामाजिक मिथकों के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी। पोस्टर प्रदर्शनी से मासिक धर्म को समझा:-माहवारी मेला के मौके पर मासिक धर्म स्वच्छता पर जानकारी से भरे पोस्टर प्रदर्शनी लगायी गयी। साथ ही मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़े उत्पाद जैसे सैनिटरी नैपकिन व अन्य चीजों के बारे में सीख।           इस मौके पर छात्रों ने मासिक धर्म पर अपने सवाल व विचार साझा किए। कार्यक्रम की प्रतिभागी तानिया ने कहा कि उसे हमेशा पीरियड्स के बारे में बात न करने के लिए कहा जाता था। लेकिन आज इस बात की समझ बनी है कि स्वस्थ्य रहने के लिए सही जानकारी होना महत्वपूर्ण है। प्रतिभागी आलिया ने कहा कि मां द्वारा मासिक धर्म के दौरान अपने बाल न धोने के लिए कहा जाता था लेकिन अब यह एक भ्रांति है और इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। सुहानी ने कहा कि मासिक धर्म में स्वच्छता नहीं रखने से गर्भाश्य से जुड़े रोग हो सकते हैं, इसकी विस्तार से जानकारी मिल सकी है। बात करने पर ​थी झिझक, अब हुए जागरूक स्कूल के प्रधानाध्यापक रघुबीर कुमार ने कहा कि सहयोगी संस्था द्वारा एक महिलाओं के अधिकार ​पर बढ़िया काम किया जा रहा है। महिलाओं के अधिकार में स्वास्थ्य भी शामिल है और स्वस्थ्य समाज का होना विकास का एक महत्वपूर्ण सूचक है।           कहा कि स्वयं को प्रगतिशील मानने के बावजूद मुझमें मासिक धर्म पर बात करने को लेकर झिझक थी लेकिन इस कार्यक्रम से मेरी इस विषय पर बेहतर समझ बनी है। मिथक और भ्रांतियों को दूर करने का काम करुंगा। मासिक धर्म से जुड़े वर्जनाओं को तोड़ना जरूरी:-संस्था की कार्यकारी निदेशक ने बताया कि मासिक धर्म मेला का उद्देश्य वर्जनाओं को तोड़ने, सही ज्ञान साझा करने और यु​वतियों के लिए अपने स्वास्थ्य और शरीर के बारे में खुलकर और आत्मविश्वास से बात करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने की दिशा में एक कदम है।      सहयोगी ने इस आयोजन के माध्यम से युवा आवाज़ों को सशक्त बनाने और मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इस मौके पर सहयोगी संस्था से प्रियंका, रूबी, उषा, लाजवंती, निर्मला, बिंदु, धर्मेंद्र, मनोज, शारदा, खुशबू, राजीव, फरहीन, मोनिका व अन्य मौजूद रहे।

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