धूमधाम से मनाया गया गुरू पूर्णिमा महोत्सव

सहरसा:-शहर के गांधी पथ स्थित संतमंत सत्संग मंदिर में गुरू पूर्णिमा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम प्रातः काल में ध्यान अभ्यास एवं ईश स्तुति से सत्संग में प्रवचन से कार्यक्रम का शुरुआत हुआ। सभी उपस्थित ने पूज्य गुरुदेव के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर विशाल भंडारा का आयोजन किया गया।           पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर संतमत सत्संग मंदिर के आचार्य स्वामी महेशनंद महाराज ने कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है, जिसे पूर्णिमा के दिन के रूप में भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा अपने गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए मनाई जाती है, जो ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करके किसी व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता वेदव्यास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।           भारत में प्राचीन काल से ही गुरुओं की भूमिका काफी अहम रही है। चाहे प्राचीन कालीन सभ्यता हो या आधुनिक दौर, समाज के निर्माण में गुरुओं की भूमिका को अहम माना गया है। उनकी इस भूमिका को सरल और गूढ़ रूप में संत कबीरदास ने अपने दोहे के माध्यम से भी दर्शाया है।कबीरदास ने आमलोगों से कहा है कि गुरु के बिना ज्ञान का मिलना असंभव है। जब तक गुरु की कृपा प्राप्त नहीं होती, तब तक कोई भी मनुष्य अज्ञान रूपी अधंकार में भटकता हुआ माया मोह के बंधनों में बंधा रहता है, उसे मोक्ष (मोष) नहीं मिलता।            गुरु के बिना उसे सत्य और असत्य के भेद का पता नहीं चलता, उचित और अनुचित का ज्ञान नहीं होता

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