मासिक धर्म में स्वच्छता के प्रति किशोरियां हो रही जागरूक

पटना:-राजधानी के केसरी नगर की रहने वाली 17 वर्षीय रिंकी कुमारी (बदला हुआ नाम) माहवारी के दौरान अब नियमित रूप से सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती है. उसके स्कूल में हुए एक स्वास्थ्य शिविर में जब महिला चिकित्सकों और अन्य विशेषज्ञों ने इसके बारे में बताया तो वह साकांक्ष हुई. इसके पहले वह माँ के सिखाने पर कपड़े का इस्तेमाल करती थी. वह बताती है कि उसने घर में अपनी माँ को माहवारी के दौरान हमेशा कपड़ा इस्तेमाल करते हुए ही देखा था. उसकी माहवारी शुरू होने पर माँ ने उसे भी कपड़े का इस्तेमाल करना सिखाया. हालांकि तब तक संकोचवश वह इस बारे में किसी अन्य से या स्कूल की सहेलियों से इस बारे में कोई बात नहीं करती थी. लेकिन स्कूल में एक बार आयोजित स्वास्थ्य शिविर ने उसकी आँखें खोल दी. अब उसकी माँ भी उसके समझाने पर सैनिटरी नैपकिन का ही इस्तेमाल करतीं हैं. शिविर में छात्राओं को माहवारी स्वच्छता का महत्व बताया गया था और माहवारी के दौरान नैपकिन इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी थी. राज्य के सभी जिलों में मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रोग्राम को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय नहीं जाने वाली किशोरियों को आशा द्वारा सामाजिक विपणन के माध्यम से सेनेटरी नैपकिन (प्रति पैकेट Rs 6) वितरित किया जाता है।  विद्यालय जानेवाली किशोरियों को शिक्षा विभाग के माध्यम से सेनेटरी नैपकीन हेतु वर्ष में एक बार एकमुश्त राशि उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भी किशोरियों को सुरक्षित मासिक धर्म एवं स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाता है।                           नियमित अंतराल पर सैनिटरी नैपकिन बदलने की जरूरत:-फुलवारीशरीफ प्रखंड के वार्ड संख्या 9 स्थित गोनपुरा स्वास्थ्य उप केंद्र से संबद्ध आशा सबीना खातून ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता नहीं होती है, जिससे लड़कियां माहवारी के दौरान कपड़ा का इस्तेमाल करती हैं. सबीना ने यह बताया कि वह लड़कियों को समझती हैं कि ज्यादा नमी के दौरान गीले कपड़े से खुजली होती है एवं संक्रमण बढ़ने का खतरा रहता है. माहवारी स्वच्छता जरूरी:- पटना एम्स में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. इंदिरा प्रसाद बताती हैं कि मासिक धर्म किशोरावस्था से जुड़ी सामान्य परिवर्तन की प्रक्रिया है जिसमें स्वच्छता के अभाव में कई प्रकार के संक्रमण और रोग जैसे सरवाइकल कैंसर, हेपेटाइटिस-बी संक्रमण, यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फ़ैकशन हो सकते हैं. इससे बच्चेदानी की नली और अंदरूनी भाग क्षतिग्रस्त होकर सुरक्षित मातृत्व के लिए बाधक हो सकते हैं. इससे बचने के लिए किशोरियों को अपने शरीर की स्वच्छता और जननांग की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए रोजाना साबुन और पानी से नहाना एवं 4 से 6 घंटे में सैनिटरी नैपकिन बदलना और बदलते समय तथा नहाते समय जननांगों की अच्छी तरह साफ-सफाई जरूरी है।

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