निगरानी विभाग वरीय पदाधिकारियों के घोर लापरवाही के कारण निगरानी संवर्ग में बहाल 2014 बैच के पुलिस अवर निरीक्षक एवं 56-59 वी पुलिस उपाधीक्षक का प्रमोशन अटका

पटना:-निगरानी विभाग वरीय पदाधिकारियों के घोर लापरवाही के कारण निगरानी संवर्ग में बहाल 2014 बैच के पुलिस अवर निरीक्षक एवं 56-59 वी पुलिस उपाधीक्षक का प्रमोशन अटका। बिहार सरकार के निगरानी विभाग में पद खाली रहते हुए भी वरीय पदाधिकारीयों के घोर लापरवाही एवं अनियमितता के कारण अभी तक प्रमोशन पेंडिंग पड़ा है, जबकि सरकार ने इसकी अधिसूचना पहले ही जारी कर दिया है। 2012 में निगरानी विभाग द्वारा निगरानी संवर्ग का गठन 24 अगस्त 2012 में किया गया, जिसमें पुलिस अवर निरीक्षक के 09 पद एवं पुलिस उपाधीक्षक के 11 पदों का सृजन किया गया। 2014 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा स्नातक स्तरीय विज्ञापन के माध्यम से पुलिस अवर निरीक्षक की भरती का विज्ञापन आया, जिसमें 09 पद निगरानी संवर्ग के पुलिस अवर निरीक्षक का भी था।
2018 में पुलिस अवर निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक दोनों निगरानी विभाग में योगदान देते हैं, एवं 2018 से 20 तक बिहार पुलिस अकादमी राजगीर में अन्य पुलिस अवर निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। वर्तमान में ये सभी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो तथा विशेष निगरानी इकाई में पदस्थापित है।          हद तो यह देखिए की निगरानी विभाग में कुल 57 पुलिस निरीक्षक का पद होते हुए भी मात्र 03 पुलिस अवर निरीक्षक का पदोन्नति इंस्पेक्टर पद पर हुआ, जो कहीं से समानुपातिक नहीं है। जबकि वर्तमान में 57 इंस्पेक्टर में से 22 इंस्पेक्टर गृह विभाग से प्रतिनियुक्ति पर निगरानी विभाग में आये हैं, 32 पुलिस निरीक्षक का पद खाली पड़ा है, फिर भी निगरानी संवर्ग के पुलिस अवर निरीक्षक का पदोन्नति नहीं हुआ। निगरानी के नियमावली में आगे कोई प्रोन्नति का प्रावधान नहीं है। जबकि साथ में प्रशिक्षण लेने वाले गृह विभाग के सार्जेंट, प्लाटून कमांडर एवं अग्निशमन पदाधिकारी सभी को पदोन्नति का लाभ मिल चुका है। सभी इंस्पेक्टर बन चुके हैं। निगरानी के नियमावली में स्पष्ट प्रावधान नहीं है, कि पुलिस संवर्ग का प्रोन्नति किस प्रकार होगा। मात्र 03 पद इंस्पेक्टर का है। बाकी सभी पुलिस अवर निरीक्षक बिना एक भी प्रमोशन लिए रिटायर हो जाएंगे। इन सभी त्रुटियों को देखते हुए मुख्यमंत्री क़ी अध्यक्षता में 2017 में एक आदेश जारी किया गया था जिसमें साफ शब्दों में लिखा था क़ी निगरानी संवर्ग से बहाल हुए कर्मचारीयों को कम से कम 50 प्रतिशत सभी पदों का लाभ दिया जाए, लेकिन वरीय पदाधिकारियों की लापरवाही की वजह से आज तक कोई अमल नहीं हुआ।इस सम्बन्ध में निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को अनेकों बार पत्र लिखा जा चुका है। पटना उच्च न्यायालय में एक रिट भी दायर किया गया, उसके बावजूद निगरानी विभाग द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का विभाग होते हुए भी इतना सुस्त है रवैया। निगरानी विभाग के वरीय पदाधिकारियों ने जिस तरह का नियम बनाया है उसके हिसाब से तीन-चौथाई पुलिस अवर निरीक्षक अपने मूल पद पर मतलब पुलिस अवर निरीक्षक से ही बिना एक भी पदोन्नति लिए बिना ही रिटायर हो जायेंगे। ऐसे नियमावली बनाने वाले पदाधिकारियों को सलाम है।

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