विश्व कॉन्ट्रासेप्टिव डे (26 सितम्बर) पर विशेष

नए गर्भनिरोधक के इस्तेमाल को राज्य में मिल रही स्वीकृति

एक साल में 2078 सबडर्मल इम्प्लांट हुए, इस मामले में बिहार है देश में दूसरे नम्बर पर
अस्थायी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने वाली 90 प्रतिशत महिलाएं करा रही बंध्याकरण
गर्भनिरोधक के उपयोग से मातृ मृत्यु दर में लगभग 20% से 30% तक की आती है कमी
दूसरे राज्यों से लाभार्थी सब डर्मल इम्प्लांट लगाने आ रहे पटना, भागलपुर में भी है सुविधा

पटना:- राज्य की लगभग 58 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्ष से कम है। यह सभी प्रजनन योग्य आबादी है। जाहिर है सरकार के द्वारा भी जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कई प्रयास किए गए हैं। इसके लिए स्थायी और अस्थायी दो प्रकार के साधन राज्य में उपलब्ध हैं। इसमें राज्य के लोगों ने 9 सितंबर, 2023 को राज्य में आए नए गर्भनिरोधक सब डर्मल इम्प्लांट को खूब स्वीकृति दी है। आलम यह है कि पीएमसीएच में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से भी सब डर्मल इम्प्लांट लगाने लाभार्थी आ रहे हैं। दो जिलों के तीन अस्पतालों में इसके इम्प्लांट लगाने की व्यवस्था के बाद भी राज्य के 22 जिलों के लोगों ने पीएमसीएच आकर सब डर्मल को अपनाया है। गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से मातृ मृत्यु दर में लगभग 20% से 30% तक की कमी आती है। राज्य में गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने वाली 90 प्रतिशत महिलाएं बंध्याकरण करा रही हैं। तीन साल में 10 हजार का लक्ष्य:-सब डर्मल इम्प्लांट लगाने में तकनीकी सहयोग करने वाली संस्था के मुताबिक, अगले तीन सालों के दौरान पटना एवं भागलपुर में लगभग 10 हजार सब डर्मल इम्प्लांट लगाने का लक्ष्य हैं। 24 सितंबर, 2024 तक कुल 2078 सबडर्मल इम्प्लांट किए गए हैं। इसमें 1355 पीएमसीएच, 723 गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में लगाए गए हैं। वहीं पटना में कुल 19 चिकित्सक इसे लगा रहे हैं। 13 सितंबर को सब डर्मल के एक वर्ष पूरा होने पर एक कार्यक्रम के दौरान परिवार नियोजन के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. ए.के. शाही ने सामूहिक प्रयास से अगले तीन वर्षों में इसे एक निश्चित संख्या पर लेकर जाने की भी बात कही थी।                             सबडर्मल इम्प्लांट करने में दूसरे नंबर पर बिहार:-2078 सब डर्मल इम्प्लांट करने में बिहार देश में दूसरे नंबर है। असम पहले नंबर पर काबिज है। हालांकि परोक्ष रूप से देखने पर राज्य देश में पहले नंबर पर है। इसका कारण यह है कि सब डर्मल इम्प्लांट बिहार के दो जिलों जबकि असम के तीन जिलों में लगाया जा रहा है। इम्प्लांट में काउंसलिंग और फॉलोअप जरूरी:-द फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी आफ इंडिया की सदस्य और वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रीता झा कहती हैं कि यह अच्छी बात है कि गर्भनिरोधक की नई विधियों को तेजी से अपनाया जा रहा है। सब डर्मल इम्प्लांट में तेजी के लिए सटीक काउंसलिंग के साथ इम्प्लांट किए महिलाओं का फॉलोअप भी जरूरी है, ताकि इसके साइड इफेक्ट और प्रजनन स्वास्थ्य के असर को समझा जा सके। फॉलोअप में प्राप्त सूचनाओं को काउंसलिंग के दौरान भी उपयोग में लाया जा सकता है।

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