पूर्वी क्षेत्र में पशुधन और कुक्कुट क्षेत्र में उभरते अवसरों पर विचार मंथन सत्र

पटना:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा “पूर्वी क्षेत्र में पशुधन और कुक्कुट क्षेत्र में उभरते अवसरों विषय पर एक विचार मंथन सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया।           डॉ. दास ने संस्थान के अधिदेश और गतिविधियों की जानकारी दी और विचार मंथन सत्र के उद्देश्यों का परिचय कराया। डॉ. कमल शर्मा, प्रमुख, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग ने विभाग की हाल की गतिविधियों और पशुधन, कुक्कुट एवं मत्स्य क्षेत्र में किए गए योगदान का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। इसके बाद डॉ. अर्नब सेन, स्टेशन-प्रभारी, आईवीआरआई-ईआरएस, कोलकाता ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने पशुधन और कुक्कुट रोगों की सतत निगरानी और नियंत्रण की आवश्यकता पर बल दिया ताकि जूनोटिक रोगों के प्रसार को रोका जा सके। उन्होंने किसान-केंद्रित दृष्टिकोण और नवाचारों को अपनाने व बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी के प्रसार क्षेत्रों का विस्तार करने, और किसानों की आयवर्धक क्षमताओं को सशक्त बनाने पर भी ज़ोर दिया। डॉ. संदीप घटक, प्रमुख, पशु एवं मात्स्यिकी विज्ञान प्रभाग, आईसीएआर-एनईएच क्षेत्र, उमियम, मेघालय ने बताया कि उनका संस्थान एकीकृत कृषि प्रणाली में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को किसानों की समस्याओं, विशेषकर प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा आदि के संदर्भ में, मिलकर समाधान ढूंढना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न योजनाओं के बेहतर एकीकरण की आवश्यकता है जिससे किसानों की बहुआयामी समस्याओं का समाधान किया जा सके। एकीकृत कृषि प्रणाली में संसाधनों के प्रवाह पर अध्ययन किए जाने चाहिए। डॉ. ए. सी. वर्श्नेय, पूर्व कुलपति, डीयूवीएएसयू, मथुरा और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने कहा कि संस्थान को पॉलीहाउस आधारित खाद्य उत्पादन प्रणाली को बढ़ावा देना चाहिए जिससे किसानों को ऑफ-सीजन में उच्च मूल्य प्राप्त उत्पाद उपलब्ध हो सके और वे बेहतर मूल्य अर्जित कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वी क्षेत्र में पुष्पकृषि (फ्लोरीकल्चर) की बहुत संभावनाएं हैं, जिसे किसानों में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि अधिक आय और रोजगार सुनिश्चित हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि उच्च मूल्य वाली नकदी फसलों जैसे ड्रैगन फ्रूट और चंदन को शामिल कर किसानों की आय को चार गुना तक बढ़ाया जा सकता है।           उनका मत था कि एक मॉडल खेती प्रणाली विकसित की जानी चाहिए जिसमें खेत को तीन बराबर भागों में बांटा जाए  33% नियमित फसलों के लिए, 33% नकदी फसलों के लिए, और 33% पशुपालन, कुक्कुट पालन और मत्स्य उत्पादन के लिए। विचार मंथन सत्र का समापन डॉ. पी. सी. चन्द्रन, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा प्रस्तुत औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com