श्री राम की कथा से युवाओं को प्रेरणा लेकर माता पिता की आज्ञा का पालन करने का लेना चाहिए संकल्प:-डॉ. नवनीत 

सहरसा:-नगर निगम के तिवारी टोला स्थित समाजसेवी कुमार अमरज्योति के आवास जायसवाल निकेतन में चल रहे श्री राम कथा के छठे दिन रविवार को प्रभु श्री राम को लेने के लिए जब विश्वामित्र जी आए तो राजा दशरथ जी ने कहा सब कुछ ले लीजिए लेकिन मेरा राम मुझे छोड़ दीजिए एवं श्री राम के वनवास कथा का वर्णन हुआ।           श्री राम कथा वाचक आचार्य डॉ. नवनीत भैया जी ने श्री राम के राज तिलक से वनवास तक की कथा सुनायी। महाराज ने कहा कि प्रभु श्री राम दशरथ के चार पुत्र में सबसे बड़े पुत्र थे। श्री राम अपने पिता की हर बातों का पालन करते थे। चारों भाइयों में सबसे बड़े होने के नाते राम को राजपाठ का भी बहुत ज्ञान था। हर समय अपने पिता दशरथ का हाथ बंटाते थे। जैसे-जैसे प्रभु राम बड़े हुए तो दशरथ के मन में एक ही बात थी, कि मैं अपने जीते-जीते राम को आयोध्या का राजा बना कर राज तिलक कर दूं। राजा दशरथ ने अपने राज्य में युवराज राम को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। पूरी आयोध्या नगरी प्रभु श्री राम के राज तिलक को उतावली थी। इसी बीच माता कैकई ने राजा दशरथ से वरदान मांगी और श्रीराम को वनवास भेजने व भरत का राज तिलक करने की बात कही। जैसे ही राजा महल से निकल दरबार में आए तो उन्होंने राज तिलक के स्थान पर प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास दे दिया। महाराज जी ने कहा कि श्री राम बिना कुछ सवाल किए अपने पिता राजा दशरथ की बातों को सुन वनवास के लिए जाने लगे।        इसी बीच माता सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास के लिए निकल गए। अपने युवराज को वनवास जाता देख पूरी अयोध्या उनके साथ वन में जाने को तैयार थी, लेकिन श्री राम ने अपने पिता के वचन का मान रखते हुए सभी को समझाया और वचन पालन के लिए 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़े। स्वामी जी ने कहा कि आज के युवाओं को भी प्रभु श्री राम की कथा से प्रेरणा लेते हुए माता पिता की आज्ञा का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलयुग के बच्चे माता पिता के बातों को सुनना तो दूर उन्हें ही वनवास (वृद्धाश्रम) भेज रहे हैं। उन्होंने सभी युवाओं से अपने माता पिता का सम्मान करने की बात कहा। इस दौरान संगीतमय भजन की प्रस्तुति के माध्यम से भी कथा का वर्णन किया गया। आचार्य डॉ. नवनीत भैया जी के हाथों से नगर निगम के मेयर बैन प्रिया जी को शाल देकर श्री राम कथा का प्रतीक चिन्ह दिया गया।                            मेयर बैन प्रिया काफी देर तक पंडाल में श्री राम कथा का अनुश्रवण करती रही। मुख्य यजमान शकुंतला देवी एवं जवाहर चौधरी जी के साथ आरती में बैन प्रिया जी एवं सोनी जायसवाल ने आरती किया। माधव चौधरी, विनय मिश्रा, नन्हे सिंह, प्रशांत सिंह, संजय चौधरी, पिंटू तिवारी, अश्विनी चौबे, दिगम्बर चौधरी, विनित सिंह, प्रिंस सिंह, बबलू चौधरी, शिंकू आनंद, मनीष चौपाल, रणजीत झा, कुंदन रजक के साथ महिला शक्ति के रूप में ललीता जायसवाल, तारा देवी, रेणू पाण्डेय, निलम दीदी आदि लगे हुए थे।

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