नवजातों के लिए जीवन रक्षक बन रहा सदर अस्पताल का एसएनसीयू

सासाराम:- शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है और विभिन्न गतिविधियों के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी कार्य किया जा रहा है जिसमें बेहतर एसएनसीयू की स्थापना भी शामिल है। बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूद एसएनसीयू को लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है और इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। इधर रोहतास जिले के सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू भी शिशु मृत्यु दर को कम करने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह एसएनसीयू सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी क्लीनिकों के नवजातों के लिए भी जीवन रक्षक बन रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण है निजी क्लीनिक से भर्ती कराया गया 700 ग्राम का नवजात। दिनारा प्रखंड के गोपालपुर निवासी इम्तियाज अंसारी ने 3 मार्च को अपने नवजात शिशु को सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में भर्ती कराया था उसे दौरान उक्त नवजात का वजन महज 700 ग्राम ही था। 700 ग्राम के आसपास के नवजात को सरवाइव कराना एसएनसीयू के कर्मियों के लिए एक बड़ा चैलेंज था। परंतु एसएनसीयू के चिकित्सक ने नवजात को भर्ती किया और इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला गहन देखभाल से नवजात को मिली जिंदगी सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में कार्यरत डॉक्टर के साथ साथ इंचार्ज कमल कुमारी एवं नर्सिंग स्टॉफ बिदुसी लता सहित अन्य नर्सिंग स्टाफ ने बेहतर चिकित्सा गहन देखभाल का उदाहरण पेश किया और कम वजन वाले नवजात को सर्वाइव करवाया।           दो महीने से अधिक नवजात को एसएनसीयू में रखा गया और उसका सही तरीके से इलाज कर स्वस्थ्य किया गया। वैसे तो इस एसेंशियल में सभी नवजातों का बेहतर तरीके से इलाज एवं देखभाल किया जाता है, उसके लिए भी यहां के स्वास्थ्य कर्मी तत्पर रहते हैं और बेहतर परिणाम देने की कोशिश करते हैं। उसी का परिणाम है कि आज वह नवजात अपनी मां की गोद में खेल रहा है। पिछले चार महीनों में 444 नवजात हुए भर्ती:-विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 4 महीने में 444 नवजातों को इस एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। जनवरी 2025 में कुल 135 नवजातों को यहां भर्ती किया गया था, जबकि फरवरी में 107, मार्च में 93 तथा अप्रैल में 109 नवजातों को भर्ती किया गया है। वर्तमान में 10 नवजात भर्ती है। एसएनसीयू का है बेहतर योगदान:-सीएनसीयू के नोडल अधिकारी डॉक्टर इरफान अहमद ने बताया कि कम वजन के बच्चों में सबसे ज्यादा समस्या सांस लेने की होती है और उसे सबसे पहले मेंटेन किया जाता है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले सांस लेने की समस्या को दूर करने के लिए ऑक्सीजन का सहारा लेना पड़ता है। उसके बाद फीडिंग को भी मेंटेन किया जाता है। जब बच्चा स्वयं से सांस लेने लगता है और ब्रेस्ट फीडिंग करने लगता है तब वह डिस्चार्ज के अवस्था में होता है और उसे डिस्चार्ज किया जाता है। वही रोहतास सिविल सर्जन डॉक्टर मणिराज रंजन ने बताया कि सदर अस्पताल का एसएनसीयू लगातार बेहतर परिणाम दे रहा है और यहां पर भर्ती नवजात स्वस्थ होकर निकल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस एसएनसीयू में अत्याधुनिक मशीन मौजूद है। शिशु मृत्यु दर को कम करने में सदर अस्पताल का एसएनसीयू भी अहम भूमिका निभा रहा है।

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