जगतगुरु रामभद्राचार्य ने आर्मी चीफ से दक्षिणा में मांग लिया पीओके, बताया आप अपने कार्यकाल में दें

डेस्क:-थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी अपनी पत्नी सुनीता द्विवेदी के साथ भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट पहुंचे। यहां उन्होंने श्री तुलसीपीठ में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य से आध्यात्मिक दीक्षा ली।            इस मौके पर सेना प्रमुख ने स्वामी रामभद्राचार्य को भारतीय सेना का प्रतीक चिह्न भी भेंट किया। इस भावुक पल में जगद्गुरु ने अपनी दक्षिणा के रूप में एक अनोखी इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि “मेरी दक्षिणा यही है कि मैं पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) को भारत का हिस्सा बनते देखूं और वह भी जनरल द्विवेदी के कार्यकाल में।” उन्होंने यह भी कहा कि भगवान कामतानाथ कृपा करें कि देश की यह कामना जल्द पूरी हो। स्वामी रामभद्राचार्य ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि सेना के “ऑपरेशन सिंदूर” ने भारत को दुनिया में एक नया स्थान दिलाया है।          उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री और वायु सेना प्रमुख ने रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से ऑपरेशन की गहराई को समझाया है जिससे स्पष्ट है कि रामचरितमानस आम जनता की भावनाओं का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने अपील की कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए। इस दौरान जनरल द्विवेदी ने दिव्यांग विश्वविद्यालय और तुलसी प्रज्ञाचक्षु विद्यालय के छात्रों से भी मुलाकात की। उन्होंने छात्रों के बीच उपहार और किट का वितरण किया। साथ ही भारतीय सेना की उपलब्धियों खासकर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता साझा की।         उन्होंने कहा कि “युद्ध में जीत के लिए शस्त्र के साथ-साथ शास्त्र भी जरूरी है।” उन्होंने खुद को शस्त्र और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को शास्त्र बताया। उधर सेना प्रमुख के आगमन पर चित्रकूट में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। वह सुबह करीब 09 बजे सेना के हेलीकॉप्टर से आरोग्यधाम हेलीपैड पर उतरे, जहां से सीधे श्री तुलसीपीठ पहुंचे। वहां तुलसीपीठ सेवा न्यास के अध्यक्ष, दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति और आचार्य रामचंद्र दास ने उनका स्वागत किया।         चित्रकूट स्थित श्री तुलसीपीठ भारत के प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। इसकी स्थापना स्वामी रामभद्राचार्य ने की है। श्री रामभद्राचार्य न सिर्फ एक धार्मिक गुरु हैं बल्कि साहित्य, दर्शन और दिव्यांग शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने अतुलनीय कार्य किया है।

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