कृषि अनुसंधान परिसर पटना में धूमधाम से मनाया गया 79 वां स्वतंत्रता दिवस

पटना:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में धूमधाम से 79 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पूरे संस्थान परिसर को आकर्षक लाइटों एवं झंडों से सजाया गया।    संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने ध्वजारोहण कर संस्थान के सभी कर्मियों को बधाइयां एवं शुभकामनाएं दी। अपने संबोधन में डॉ. दास ने कहा कि 15 अगस्त 1947 केवल एक तारीख नहीं, बल्कि 200 वर्षों की अंग्रेज़ी गुलामी से मिली आज़ादी का प्रतीक है। उन्होंने विनम्र भाव से महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मंगल पांडे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर, आज़ाद बिरसा मुंडा सहित असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को उनके अद्वितीय बलिदान को नमन किया तथा देश की सीमाओं पर तैनात वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस केवल एक वार्षिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी शून्य से शिखर तक की यात्रा और लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है।                                    कृषि से लेकर अंतरिक्ष तक देश की प्रगति में किसानों, वैज्ञानिकों और देशवासियों का योगदान अमूल्य है। संस्थान के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि यह संस्थान पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए फसल अनुसंधान, भूमि एवं जल प्रबंधन, बागवानी, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, डेयरी, प्राकृतिक खेती, कृषि प्रसंस्करण, पोषण वाटिका, जैविक प्रबंधन आदि अनेक क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। जलवायु अनुकूल खेती, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, संरक्षण कृषि और आईएआरआई पटना हब के माध्यम से शिक्षा में संस्थान ने विशेष पहचान बनाई है।    उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजातीय उप-परियोजनाओं, ‘प्रयास’ कार्यक्रम, विभिन्न प्रशिक्षणों, जागरूकता अभियानों, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल तथा स्वच्छ-हरित परिसर जैसी गतिविधियों को सतत् रूप से संचालित किया जा रहा है। ‘लैब-टू-लैंड’ की अवधारणा पर बल देते हुए उन्होंने सभी को और बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गर्वपूर्वक उल्लेख किया कि बिहार और झारखंड में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का नोडल संस्थान बनने का दायित्व हमारे संस्थान को मिला, जिसे सभी के सामूहिक प्रयासों से सफलतापूर्वक निभाया गया एवं सभी लोग बढ़ी के पात्र हैं। इस अभियान के अंतर्गत संस्थान की 32 टीमों ने 2 लाख से अधिक किसानों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की।          भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान “एक टीम-एक कार्य” की अवधारणा के अंतर्गत धान-परती भूमि प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन एवं न्यूनीकरण, स्मार्ट जल प्रबंधन, समेकित आर्द्रभूमि प्रबंधन, चारा एवं पशु आहार उत्पादन में नवाचार, डिजिटल कृषि, लघु एवं सीमांत किसानों के लिए नीतियाँ, प्राकृतिक खेती, कृषि-उद्यमिता विकास तथा बीज एवं पौध उत्पादन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देगा। उन्होंने बताया कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आगामी योजनाओं में धान-मक्का प्रणाली के लिए परिशुद्ध पोषण प्रबंधन, सौर ऊर्जा आधारित कृषि, ड्रोन द्वारा कृषि रसायनों का छिड़काव, पेरी-अर्बन मॉडल, “शून्य भूख-शून्य प्रौद्योगिकी अंतर” पहल, एग्रीवोल्टाइक सिस्टम, एआई-आईओटी आधारित जल प्रबंधन, आर्सेनिक-रोधी PGPR तकनीक, उच्च तकनीक बागवानी, फ्यूचर फार्म मॉडल, मृदा जैविक कार्बन भंडारण तथा एआई आधारित बतख पालन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का विकास एवं प्रसार शामिल है। कार्यक्रम का समापन “नया भारत” थीम पर आधारित संकल्प के साथ हुआ, जिसमें सभी ने वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने, समाज में सद्भाव बनाए रखने, स्वच्छ-हरित परिसर को बढ़ावा देने और भोजन की बर्बादी रोकने का प्रण लिया।          कार्यक्रम समापन के बाद संस्थान के कर्मियों एवं आईएआरआई हब के विद्यार्थियों के लिए मनोरंजक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन खेलों में प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए।

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