बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द , 17 पहल देश को दिखाएगी राह:-ज्ञानेश

डेस्क:-बिहार चुनाव से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बिहार दौरे का आज दूसरा और अंतिम दिन है। उन्होंने इस दरम्यान चुनाव की तैयारियों का विस्तार से जायजा लिया। तदुपरांत उन्होंने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और चुनाव आयोग की तैयारियों के बारे में बताया। उन्होंने बिहार के मतदाताओं का मैथिली भाषा में अभिवादन किया। वोटरों का आह्वान करते हुए ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जैसे हम त्यौहारों को मनाते हैं उसी तरह लोकतंत्र के पर्व को उत्सव के साथ मनाएं। उन्होंने लोगों से वोट करने का आग्रह किया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार के 90217 बूथ लेवल ऑफिसर ने ऐसा काम किया जो पूरे देश के लिए अनुकरणीय है। विश्व को बिहार की वैशाली ने ही गणतंत्र का रास्ता दिखाया था। उसी तर्ज पर बूथ लेवल ऑफिसर ने मतदाता सूची शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि बिहार में 243 विधानसभा सीट हैं। विधानसभा की काल अवधि 22 नवंबर को समाप्त हो रही है। इससे पहले ही चुनाव संपन्न होंगे। चुनाव आयोग के अधिकारी सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा सभी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई है। जहां तक चुनाव एक फेज में कराने की बात है, चुनाव आयोग जल्द निर्णय लेगा। पहली बार बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) की ट्रेनिंग हुई। दिल्ली में 700 बीएलए का प्रशिक्षण संपन्न हुआ। एक बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर नहीं होंगे। वोटिंग के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा।           बूथ लेवल ऑफिसर के लिए भी फोटो आईडी कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। पोलिंग बूथ के कमरे के बाहर मोबाइल जमा कर वोट डालने की सुविधा होगी। सभी 90 हजार पोलिंग बूथ पर यह सुविधा उपलब्ध रहेगी। मतदाताओं को दी जाने वाली वोटर स्लिप में बूथ की संख्या बड़े अक्षरों में होगी, इससे बूथ ढूंढना आसान होगा। ईवीएम पर प्रत्याशियों का रंगीन फोटो होगा। हर जगहों पर 100 प्रतिशत वेब कास्टिंग होगी। 100 मीटर की दूरी पर हर प्रत्याशी अपना बूथ लगा सकते हैं। चुनाव आयोग 17 नए प्रयोग बिहार चुनाव में करने जा रही है। आगे यह पूरे देश में लागू होगा। वोटर आईडी कार्ड में वोटर आईडी नंबर बड़ा होगा। ईवीएम की काउंटिंग में कोई भी गलती होगी तब सभी वीवीपेट की गिनती कराई जाएगी। इसके अलावा बैलेट वोट की भी गिनती अनिवार्य होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्ष के हमले का जवाब दिया। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण आवश्यक है और चुनाव के बाद इसकी समीक्षा करना कानून के अनुरूप नहीं होगा। मतदाता सूची बनाने की जिम्मेदारी ईआरओ की होती है। बिहार के 243 ईआरओ ने मिलकर मतदाता शुद्धिकरण का काम किया है। अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं आ पाया तब इसके लिए डीएम से अपील की जा सकती है। हर मतदान केंद्र पर मतदान होने से पहले मॉक पोल होता है। इसमें प्रत्याशियों के सामने ईवीएम में पोलिंग होती है और वीवीपेट से इसका मिलान होता है। इसके बाद फॉर्म 17 भरा जाता है। उन्होंने पारदर्शिता के लिए सभी पार्टियों से अपने एजेंट जरूर नामित करने की अपील की।कहा कि खर्च की सीमा चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया है। हर जिले में एक खर्च अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। क्रिमिनल रिकॉर्ड को लेकर भी हर प्रत्याशी को प्रक्रिया फॉलो करनी होगी। वोटर कार्ड में गलती पर उन्होंने कहा कि जिन लोगों का वोटर आईडी कार्ड की एंट्री में बदलाव होगा। उन लोगों को सूची फाइनल होने के 15 दिन के भीतर नए वोटर कार्ड भिजवा दिए जाएंगे। SIR में आधार न लेने पर उन्होंने कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के तहत आधार जन्म का प्रमाण नहीं है। आधार एक्ट के तहत भी आधार न तो नागरिकता, जन्मतिथि और निवास का ही प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हम इसे स्वीकार कर रहे हैं। लेकिन कोर्ट ने भी कहा है कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। मतदान की पहली शर्त है कि वह भारत का नागरिक हो और उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो और बूथ के आसपास रहता हो। हालांकि आधार पहचान के लिए लिया जा सकता है। नाम कटने पर उन्होंने कहा कि जो मतदाता अपात्र हैं उनके नाम काटे गए हैं। अगर किसी को आपत्ति है वह अभी भी जिलाधिकारी के पास आवेदन कर सकते हैं। जहां तक संख्या की बात है हर ईआरो ने कटे हुए नामों की संख्या हर राजनीतिक दलों को दे दी है। दल अपने बीएलएजरूर नियुक्त करें ताकि चुनाव और ज्यादा पारदर्शी हो।

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