महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह एवं सेवाभाव रखते थे, इसलिए आज का दिन “कुष्ठ दिवस” के रूप में मनाया जाता है:-सिविल सर्जन

सहरसा:-जीएनएम स्कूल में महात्मा गांधी का पुण्यतिथि मनाया गया। पुण्यतिथि के अवसर पर कुष्ठ रोग के बारे में चर्चा किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ. मुकुल कुमार ने कहा कि आज ही के दिन सन 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का निधन हुआ था।          महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह एवं सेवाभाव रखते थे, इसलिए आज का दिन “कुष्ठ दिवस” के रूप में मनाया जाता है। बापू ने कुष्ठ रोगियों के प्रति सेवा कर यह साबित किया है कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा, देखरेख करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है। कुष्ठ की बीमारी किटाणु से होता है, जिसका पूर्ण ईलाज सम्भव है। कुछ की पहचान बहुत आसान है। चमड़े पर किसी प्रकार का दाग या धब्बा, जिसमें दर्द नहीं होता हो, खुजली नहीं होती हो एवं जन्म से नहीं हो तो वह कुष्ठ का प्रारम्भिक लक्षण हो सकता है।           उन्होंने कहा कि समय से ईलाज कराने से यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है। उपचार नहीं कराने से संक्रमित व्यक्ति अनेक लोगों में संक्रमण फैला सकता है और अंगों में विकृति हो सकती है। इसलिए कुष्ठ के संदेहास्पद लक्षण मिलने पर तुरंत जांच कराये। प्रदेश को कुष्ठ मुक्त कराना हमारी सामूहिक जिम्मेवारी है। अतः कुष्ठ रोग के संदेहास्पद लक्षण को पहचान कर उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर जांच कराने के लिए प्रेरित करें।           कुष्ठ रोग से विकृतियुक्त व्यक्ति अगर कुष्ठ रोग का ईलाज करा चुका है तो उनसे संक्रमण नहीं फैलता है। उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर निरन्तर निः शुल्क चिकित्सा लेने हेतु प्रेरित करना है जिसे उनकी विकृति दूर हो सके। साथ में इस बात के लिए भी प्रेरित करना है कि सामाजिक सुरक्षा के अन्तर्गत दिये जाने वाले पेंशन विकृतियुक्त व्यक्ति अवश्य प्राप्त करें। वही कार्यक्रम में मौजूद छात्राओं को बिहार राज्य को कुष्ठ मुक्त बनाने हेतु संकल्प दिलाया गया कि कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्ति को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाने के लिए प्रेरित करूंगी तथा यह भी सुनिश्चित करुंगी कि जिन्हें कुष्ठ रोग है पूरा-पूरा ईलाज करने में मदद करूंगी।           मेरी नजर में मेरे परिवार, पड़ोस और समाज में कोई भी व्यक्ति कुष्ठ रोग से प्रभावित है, तो मैं उसके साथ बैठने, खाने, घुमने, फिरने पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करूंगी।         विकलांगतायुक्त कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति को किसी भेदभाव से नहीं देखूंगी तथा उन्हें नि:शुल्क चिकित्सा, सेवा उपलब्ध कराने में उनकी भरपूर मदद करूंगी एवं सरकार द्वारा मिलने वाली पेंशन राशि इत्यादि दिलवाने में उनकी मदद करूंगी, कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ सामाजिक भेदभाव के रोकथाम के लिए सदा प्रयत्नशील रहूंगी।    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कुष्ठ मुक्त भारत सपने को पूरा करने हेतु सदा प्रयत्नशील रहूंगी। मौके पर सिविल सर्जन डॉ. मुकुल कुमार, जीएनएम के प्राचार्य जितेन्द्र कुमार, जिला कुष्ठ निवारण के बटोही कुमार झा सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।

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