सुरक्षित व सामान्य प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं की आहार तालिका में बदलाव की जरूरत

सासाराम:- सुरक्षित और सामान्य प्रसव हर गर्भवती महिला की चाहत होती है, परंतु सही खानपान ना होने की वजह से अधिकांश महिलाओं का प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन के माध्यम से करना पड़ता है। ऐसे में यह ऑपरेशन महिलाओं के स्वास्थ्य को ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि इस तरह के ऑपेरशन में महिलाओं को कम से कम एक हफ्ते तक अस्पतालों में रहना पड़ता है। उसके बाद 6 महीने से लेकर साल भर तक उनको भारी काम करने के लिए मना रहता है। ऐसे में जरूरी है कि सामान्य प्रसव को लेकर थोड़ा खानपान पर ध्यान दिया जाए तो प्रसव के दौरान आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता और प्रसव में सहायता मिलती है। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ आईसीडीएस विभाग में कार्यरत सेविका अपने अपने पोषण क्षेत्र में गोदभराई का रस्म कर के गर्भवती महिलाओं को जागरूक करती और खानपान के दौरान पौष्टिक आहार लेने की सलाह दे रही है। आहार तालिका में बदलाव जरूरी:-सुरक्षित और परंपरागत प्रसव के लिए गर्भावस्था के दौरान अच्छा पोषण महत्वपूर्ण होता है।            सामान्य जीवन की अपेक्षा गर्भावस्था के दौरान कुछ बदलाव करना जरूरी हो जाता है। खासकर आहार तालिका (खाने-पीने की चीज को) लेकर ज्यादा बदलाव करने की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि गर्भवती महिला के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा पोषक तत्व गर्भस्थ बच्चे तक पहुंचता है। यदि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं आहार के रूप में पर्याप्त पोषक तत्व नहीं ले पाती तो बच्चों में कुपोषण होने का खतरा बना रहता है। साथ ही साथ प्रसव के दौरान भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फोलिक एसिड, विटामिन सी, कैल्सियम वाले खाद्य पदार्थ गर्भवती महिलाओं के लिए अति आवश्यक हैं। ऐसे में जरूरी है कि जिन जिन आहारों में यह सभी पोषक तत्व मौजूद रहे उसका इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए। हाईरिस्क प्रेग्नेंसी को चिह्नित कर समय से इलाज:-मातृ शिशु मृत्यु दर कम करने को लेकर सरकार गंभीर है और स्वास्थ्य विभाग भी लगातार प्रयासरत है। गर्भावस्था के शुरुआती दौर से लेकर प्रसव तक स्वास्थ्य विभाग जच्चा और बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान दे रही है। जिसका परिणाम है कि मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आ रही है। वही सुरक्षित प्रसव को लेकर सरकारी अस्पतालों में प्रत्येक माह के 9 तारिख को प्रधाननमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्ता पूर्ण देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया जाता है। इस दौरान एचआईवी एवं सिफेलीस जांच, खून जांच, यूरिन जांच, वजन जांच, ब्लड प्रेशर, पेट, सहित अन्य जांच कर विशेष चिकित्सकीय सलाह व परामर्श दी जाती है। इस दौरान हाईरिस्क प्रेग्नेंसी को चिह्नित कर आवश्यक उपचार एवं सलाह दी जाती है ताकि प्रसव के दौरान आने वाली समस्याओं को प्रसव पूर्व ही ठीक किया जा सके। समय-समय पर गर्भवती महिला की जांच:- सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि सुरक्षित एवं सामान्य प्रसव को लेकर सरकारी अस्पतालों में जांच कैम्प लगाया जाता है। इसके अलावा एएनएम, अशाकर्मी द्वारा समय समय पर गर्भवती महिलाओं को उचित सलाह दी जाती है ताकि प्रसव के दौरान जटिल समस्या न उत्पन हो। उन्होंने बताया कि प्रसव के बाद स्वास्थ्य विभाग का दायित्व यही तक खत्म नहीं होता बल्कि उक्त बच्चे को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए भी समय समय पर टीकाकरण किये जाते हैं। वही आईसीडीएस डीपीओ रश्मि रंजन ने बताया की गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण आहार जरूरी है। इसलिए समय समय पर आईसीडीएस द्वारा अभियान चलाकर गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार के बारे में जानकारी दी जाती है। साथ ही साथ सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी पोषण में सुधार लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com