हर्षोल्लास से मनाया गया ईद का त्योहार, लोगों ने एक दूसरों को गले मिलकर दी बधाई

जिले के विभिन्न ईदगाहों व मस्जिदों में पढ़ी गई ईद की नजाम

सहरसा:- जिले के विभिन्न हिस्सों में बुधवार को ईद-उल- फितर का चांद नजर आया। चांद नजर आने के बाद गुरुवार को ईद मनाई गई। ईद को लेकर रिफ्यूजी कॉलोनी स्थित ईदगाह, सहरसा बस्ती स्थित ईदगाह व मस्जिद, मीर टोला मस्जिद, अली नगर मस्जिद, नरियार मस्जिद, हटियागाछी मस्जिद में ईद की नमाज पढ़ी गई और एक दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी गई।           ईद को लेकर सभी लोग काफी उत्साहित दिखे। जिले के सिमरी बख्तियारपुर, बनमा ईटहरी, सोनवर्षा, नवहट्टा, महिषी सहित विभिन्न प्रखंडों के ईदगाहों में ईद की नमाज पढ़ी गई। ईद को लेकर प्रशासन के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी। शहर के विभिन्न ईदगाहों व मस्जिदों में पुलिस गस्ती करते नजर आए। इधर ईद का चांद नजर आते ही रातभर बाजार गुलजार रहा और लोगों ने जमकर खरीदारी की। नमाजियों को ईदगाहों व मस्जिदों तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो व जाम का सामना न करना पड़े इसके लिए प्रशासन ने सख्त इंतजाम किए थे। शहर में जगह- जगह प्रशासन के द्वारा पुलिस की तैनाती की गई थी। और हर चौराहे पर एक पुलिस टुकड़ी तैनात कर दी गई थी। पूरे शहर में सदर एसडीपीओ आलोक कुमार, यातायात डीएसपी प्रवीण कुमार, सदर थानाध्यक्ष श्रीराम सिंह धूम-घूमकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते नजर आये। इस दौरान उन्होंने लोगों से शांति के साथ ईद की त्यौहार मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसी तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं दे। इधर बुधवार की रात ईद का चांद नजर आते ही बाजारों की तरफ दौड़ शुरू हो गई। शहर के डीबी रोड, थाना चौक, महावीर चौक, चांदनी चौक, रिफ्यूजी कॉलोनी सहित पूरा बाजार रातभर गुलजार रहा। उत्साहित बच्चे अपने पसंद के कपड़े दुकानदार से निकलवाने की जिद कर रहे थे तो उनकी अम्मी की निगाहें चटख सलवार सूट पर चमक रही थी। वही सेवइयां जहां मिठास घोलने को तैयार दिखी तो एक से बढ़कर एक इत्र की खुश्बुओं से फिजा पटी रही। हालांकि बाजार में ब्रांडेड परफ्यूम मौजूद है लेकिन रोजेदार ग्राहकों की पहली पसंद इत्र ही है।                            टोपियों की रंग-बिरंगी रंगत देख ग्राहकों को पसंद करने में वक्त लगता रहा। कही धागे और कपड़े पर बनी बारीक नक्कासी वाली टोपी तो कही किसी ऊँची बुलंद बरकाती टोपी। बांग्लादेशी, इंडोनेशियाई, मलेशियाई और चीनी टोपियां भी डिमांड में रही। सामान्य टोपी अगर दस से पचास रुपए तक बिकी तो विदेशी टोपी पचास रुपए से चार सौ रुपए तक खर्च कर लोगों ने खरीदी। सेवइयां तो बिकी ही खजूर की मांग भी कम ना रही। कहते है कि ईद के दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ल ने भी नमाज से पहले खजूर खाई थी। इसलिए लोगों ने भी चांद रात को अपनी-अपनी जेब के मुताबिक खजूरों खरीदी। जमजम खजूर सत्तर रुपए प्रति किलो बिकी तो अजवा 2000 रुपए से कम में एक किलो नही मिली। 180 रुपए किलो वाली कीमिया खजूर, 240 रुपए में हारमोनी और 260 रुपए वाली मबरुक खजूर भी लोगों ने खरीदी। वही दूसरी ओर युवा नेता रौशन झा आजाद, राजद जिला सचिव इमाम आजम, कांग्रेस नेता मुरारी यादव, नवाज अख्तर, भाकपा के कार्यालय सचिव शंकर कुमार, माले नेता कुंदन यादव, मुकेश यादव ने लोगों को ईद की मुबारकबाद दी। आपको बता दें कि पहली बार ईद उल-फितर 624 ईस्वी में मनाई गई थी। ईद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है। हिन्‍दी में ईद का अर्थ त्योहार या पर्व होता है। मुसलमानों के लिए यह एक ऐसा दिन जब वो खुशियां मनाते हैं और दावत का लुत्फ उठाते हैं एवं नए कपड़े पहनते हैं और ईदगाह जाकर खुदा की इबादत करते हैं। सिर्फ मुसलमान ही नहीं सभी धर्मों के लोग ईद के जश्न में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेते हैं। ईद का दिन चांद तय करता है। रमजान की आखिरी रात का चांद ही बताता है कि अगले दिन ईद होगी या नहीं। इस्लाम धर्म में साल में दो बाद ईद मनाई जाती है। पहली मीठी ईद जिसे ईद उल-फितर कहा जाता है और दूसरी बकरी ईद को ईद उल-जुहा कहा जाता है। रमजान के महीने में तीस दिन के रोजे के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं। इसे मीठी ईद भी कहा जाता है। वहीं बकरी ईद को कुर्रबानी की ईद माना जाता है। बकरी ईद को रमजान खत्म होने के सत्तर वें दिन मनाया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी इसी खुशी में ईद-उल-फितर मनाई जाती है।            माना जाता है कि पहली बार ईद-उल-फितर 624 ईस्वी में मनाई गई थी। इस दिन मीठे पकवान बनाए और खाए जाते हैं। अपने से छोटों को ईदी दी जाती है। दान देकर अल्लाह को याद किया जाता है। इस दान को इस्लाम में फितरा कहते हैं इसीलिए भी इस ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस ईद में सभी आपस में गले मिलकर अल्लाह से सुख, शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं।

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