केके पाठक “सर्टिफिकेट फोल्डर” को लेकर हुए सख्त, रडार पर 03.50 लाख शिक्षक

डेस्क:-बिहार में बड़ी संख्या में अवैध नियोजित शिक्षक पकड़े जा चुके हैं तो बहुतों के खिलाफ जांच लंबित है। जिन शिक्षकों की कारगुजारी पकड़ी जा चुकी है उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने में प्रशासन और नियोजन इकाइयों के हाथ-पांव फूल रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर अब नियोजन इकाइयों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। बिहार के विभिन्न जिलों में फर्जी प्रमाण-पत्र पर शिक्षक की नौकरी करने वालों की खासी संख्या रही है। इनके प्रमाण-पत्रों की जांच चल रही है और जो फर्जी मिल रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो रही है। हालांकि कार्रवाई की गति काफी धीमी है। यह कड़वी सच्चाई है। यही कारण है कि बिहार के 815 अवैध घोषित शिक्षकों के खिलाफ अबतक कार्रवाई लंबित है। इस बीच विभाग ने उन नियोजन इकाइयों की सूची तैयार करना शुरू कर दिया है जिनके यहां से नियोजित शिक्षकों का प्रमाण-पत्र वाला फोल्डर गायब है। कल तक विभाग की नियोजन इकाइयों की कार्यशैली और कारगुजारी पर नजर नहीं थी लेकिन अब विभाग को पूरा भरोसा है कि नियोजित शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच वर्षों से लंबित है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ नियोजन इकाइयां ही जिम्मेदार है। अब तो हाईकोर्ट भी नियोजन इकाइयों के प्रति गंभीर हो गया है। कोर्ट के आदेश पर ही विभाग ने नियोजन इकाइयों के खिलाफ एक्शन की तैयारी कर रहा है।           खास बात यह है कि एक तो अवैध घोषित शिक्षकों के खिलाफ न नियोजन इकाइयों द्वारा कार्रवाई की जा रही है और न शेष शिक्षकों का फोल्डर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके चलते जांच में भारी बाधा आ रही है। गौरतलब है कि नियोजन इकाइयों के सचिव के जिम्मे ही पंचायत, प्रखंड, जिला का कागजात रहता है। इन कागजातों में शिक्षक नियोजन से जुड़ा कागजात भी शामिल है। इस कागजात को नियोजन इकाई यानी सचिव उपलब्ध नहीं करा सके हैं। इसी कारण सीधे नियोजन इकाई के सचिव को जिम्मेदार मान विभाग कार्रवाई करने की तैयारी में हैं। बताया गया है कि सूबे में 03 लाख 52 हजार 927 शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष के नियोजन की वैधता की जांच बाकी है। उल्लेखनीय है कि जांच में अवैध मिले शिक्षकों के प्रति प्रशासन की भी कथित सहानुभूति रही है। नियोजन इकाइयों की मेहरबानी जग-जाहिर है। यही कारण है कि जांच में अवैध शिक्षक की पुष्टि और प्राथमिकी के बावजूद सूबे में अब तक 815 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सका है। गत माह तक यह स्थिति थी। हद तो यह कि विभाग डीईओ को कार्रवाई की याद दिलाता रहा है, लेकिन विभाग का पत्र डीईओ कार्यालय में फाइलों में रख कर बांध दिया जाता है। अन्यथा इतनी बड़ी संख्या में अवैध शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई पूरी हो गई रहती।

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