सुरक्षित मातृत्व के लिए गर्भवती महिलाओं को एएनसी जांच कराना अत्यंत आवश्यक:-सीएस

बक्सर:-जिले में मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने के साथ सुरक्षित प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से पूरी तरह से तत्पर है। जिसको लेकर जिला, अनुमंडल, प्रखंड, पंचायत व वार्ड स्तर पर लोगों को आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से समय समय पर जागरूक किया जाता है। ताकि, गर्भवती महिलाओं के साथ साथ उनके परिजनों में सुरक्षित मातृत्व की समझ बढ़े और वो प्रसव पूर्व प्रबंधन के महत्व को समझे। वहीं, प्रसव के दौरान जटिलताओं और गर्भस्थ शिशु की जांच के लिए जिले के सरकारी अस्पतालों में माह की 9वीं और 21वीं तिथि को विशेष शिविर लगाया जाता है। जहां जिले की गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच की जाता है। साथ ही, उन्हें उचित परामर्श और नि:शुल्क दवाएं भी उपलब्ध कराई जाती है। सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि एएनसी की नि:शुल्क जांच सेवा अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं को मिले इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। एएनसी जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। सदर अस्पताल के साथ-साथ अनुमंडल और पीएचसी स्तर के सरकारी अस्पतालों में भी वैसी तमाम सुविधाएं हैं, जिससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिले। यहां पर प्रसव पूर्व जांच से लेकर प्रसव कराने तक की बेहतर व्यवस्था है। सुरक्षित मातृत्व के लिए एएनसी जांच कराना अत्यंत आवश्यक है। जिससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना संभव है। हालांकि, एएनसी जांच के लिए प्रत्येक माह विशेष शिविर लगाया जाता है। लेकिन, सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाएं एएनसी जांच के लिए कभी भी चिकित्सकों से संपर्क कर सकती हैं। गर्भवतियों में एएनसी को लेकर जागरूकता की कमी:-अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि जिले में एएनसी जांच को लेकर गर्भवती महिलाओं में अभी जागरूकता की कमी है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। पिछले वर्ष अप्रैल, 2023 से लेकर मार्च, 2024 एएनसी जांच के लिए 52,250 गर्भवती महिलाओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसमें 44,547 महिलाओं ने ही सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर आकर अपनी जांच कराई। वहीं, गर्भावस्था की पहली तिमाही में 27,506 महिलाओं ने एएनसी जांच कराई। वहीं, 34,106 महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान चार या उससे अधिक एएनसी जांच कराई। जो सुरक्षित मातृत्व के लिए बेहतर आंकड़ें रहे। उन्होंने बताया कि कई महिलाएं निजी संस्थानों में जाकर एएनसी जांच कराती हैं। जहां चिकित्सकों द्वारा उनसे मोटी रकम ली जाती हैं, साथ ही कई बार उन्हें अनावश्यक डरा कर सामान्य प्रसव के मामलों को भी सिजेरियन प्रसव कराया जाता है। जिसका शिकार कई महिलाएं हो जाती हैं। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क एएनसी जांच:-सदर प्रखंड अंतर्गत पांडेयपट्‌टी स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ श्वेता सिंह ने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क एएनसी जांच की जाती है। इस दौरान प्रसव से पूर्व गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच होती है।              पहली जांच गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक, दूसरी जांच गर्भधारण के 14वें से लेकर 26वें सप्ताह तक, तीसरी जांच गर्भधारण के 28वें से 34वें सप्ताह तक और आखिरी जांच 36वें सप्ताह से लेकर प्रसव होने के पहले तक कराई जाती है। इसे एएनसी जांच कहते हैं। इस जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को जो भी सलाह दी जाती , उस पर अमल करने की जरूरत होती है। इससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, महिलाओं को अपने खानपान पर भी ध्यान रखना होगा। ताकि, वे एनीमिया की चपेट में आने से बचें। इसके लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्शियम की दवा भी चिकित्सीय सलाह के अनुसार लेनी चाहिए। साथ ही, एएनसी जांच से प्रसव के समय होने वाली जटिलताओं को भी चिह्नित किया जाता है। एचडब्ल्यूसी पर उपलब्ध है जांच की सुविधा:-पांडेयपट्‌टी स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अंतर्गत आशा मालती देवी ने बताया कि पूर्व में क्षेत्र की महिलाओं को एएनसी जांच के लिए सदर अस्पताल या पुराना सदर अस्पताल लेकर जाना पड़ता था। लेकिन, अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी माह की 9वीं और 21वीं तिथि को एएनसी जांच के लिए विशेष शिविर लगाया जाता है। जिसके कारण अब जांच के लिए महिलाओं को अनावश्यक परेशान नहीं होना पड़ता है। अब पंचायत स्तर पर ही गर्भवती महिलाओं की जांच कर उन्हें उचित परामर्श के साथ साथ टीका या दवाएं दी जाती है। साथ ही, इससे लाभार्थियों का समय भी बचता है। वहीं, जांच में अगर महिलाओं में जटिलता पाई जाती है तो टेलीमेडिसिन के माध्यम से वरीय चिकित्सकों से उनका परीक्षण कराया जाता है। साथ ही, उनका नियमित फॉलोअप करते हुए उन्हें समय पर रेफर भी किया जाता है।

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