ओडिशा में अगर बीजेपी की सरकार बनी तो रत्न भंडार की पवित्रता होगी बहाल:-पीएम

डेस्क:-लोकसभा चुनावी रण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा एक मुद्दा खूब जोर-शोर से उठा रहे हैं जो कि पुरी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न भारत की सुरक्षा का है। बीते दिन पुरी में पीएम मोदी ने एक चुनावी रैली के दौरान यह मुद्दा फिर उठाया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी बीजेडी के चुनावी रणनीतिकार वीके पांडियन पर इशारों में हमला करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबियां किसी दक्षिण भारतीय राज्य में भेज दी गई हैं। बता दें कि वीके पांडियन मूल रूप से तमिलनाडु से ही हैं। सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दिए भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को अर्पित किए गए बहुमूल्य आभूषण 12 वीं शताब्दी के मंदिर के रत्न भंडार में रखे गए हैं। यह मंदिर के भीतर स्थित है और इसके दो कक्ष हैं एक आंतरिक कक्ष है तो दूसरा बाहरी। बाहरी कक्ष की बात करें तो वार्षिक रथ यात्रा के दौरान एक प्रमुख अनुष्ठान सुना बेशा (स्वर्ण पोशाक) के दौरान देवताओं के लिए आभूषण लाने हेतु बाहरी कक्ष को नियमित रूप से खोला जाता है और पूरे वर्ष प्रमुख त्यौहारों के दौरान भी यह खुलता रहता है। लेकिन पिछले 38 वर्षों में आंतरिक कक्ष को एक भी बार नहीं खोला गया है। सूत्र बताते हैं कि आखिरी बार रत्न भंडार को 14 जुलाई 1985 को खोला गया था। लेकिन इसके बाद इसके खोले जाने का कोई अपडेट नहीं है। अप्रैल 2018 में विधान सभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने इसको लेकर जवाब दिया था उनके मुताबिक 1978 में रत्न भंडार में 12831 भारी (एक भारी 11.66 ग्राम के बराबर) सोने के आभूषण थे जिनमें कीमती पत्थर लगे हुए थे और 22153 भारी चांदी के बर्तन एवं अन्य कीमती सामान थे।             अन्य आभूषण भी थे जिनका वज़न लिस्टिंग की प्रक्रिया के दौरान नहीं किया जा सका है। उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने 04 अप्रैल 2018 को भौतिक निरीक्षण के लिए कक्ष को खोलने का प्रयास किया था। यह प्रयास असफल रहा क्योंकि कक्ष की चाबियाँ नहीं मिल सकीं। ऐसे में एएसआई की टीम ने बाहर से ही निरीक्षण किया। 05 अप्रैल 2018 को हुई मंदिर समिति की बैठक में यह बात सामने आई कि रत्न भंडार की चाबियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है , जिसके बाद राज्य व्यापी आक्रोश फैल गया। पुरी कलेक्टर आंतरिक खजाने की चाबियों के संरक्षक के तौर पर हैं , जिनके चलते लोगों ने ज्यादा रोष जाहिर किया। इसको लेकर हुए हंगामे के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 04 जून 2018 को मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया। जांच आदेश के कुछ दिनों बाद तत्कालीन पुरी कलेक्टर ने कहा कि एक लिफाफे पर “आंतरिक रत्न भंडार की डुप्लिकेट चाबियां” लिखा हुआ था जो कलक्ट्रेट के रिकार्ड रूम में मिला था। इधर जांच आयोग ने 324 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। ओडिशा सरकार ने 29 नवंबर 2018 को रिपोर्ट मिलने के बाद अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया है। रत्न भंडार की सुरक्षा को लेकर जाहिर गुस्से के बीच पिछले साल अगस्त में जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि रत्न भंडार 2024 की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान खोला जाए। पिछले साल जुलाई में पूर्व बीजेपी अध्यक्ष समीर मोहंती ने इस विवाद पर उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी। सितंबर में सुनाए गए अपने फैसले में अदालत ने सरकार को कीमती सामानों की सूची बनाने की निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्देश दिया था। ओडिशा सरकार ने मार्च में रत्न भंडार की सूची की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। ऐसे में पीएम मोदी भी जगन्नाथ मंदिर का यह मुद्दा खूब उठा रहे हैं। उन्होंने 11 मई से लगातार अपनी रैलियों में रत्न भंडार की गुम हुई चाबियों का मुद्दा उठाया और बीजेडी सरकार पर इस मुद्दे से भागने का आरोप लगाया। पटनायक सरकार ने इस मुद्दे पर कहा था कि उसे रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियों का एक सेट मिला है। इसको लेकर भी पीएम मोदी ने सवाल उठा दिए और पूछा कि डुप्लीकेट चाबियां क्यों बनाई गईं और क्या कोई रात के दौरान डुप्लीकेट चाबी से रत्न भंडार खोल रहा था। उन्होंने पूछा कि क्या इन डुप्लिकेट चाबियों का उपयोग करके देवताओं के कीमती गहने चुराए गए थे। पीएम मोदी ने जनता के बीच यह वादा किया है कि अगर बीजेपी ओडिशा में सरकार बनाती है तो वह “रत्न भंडार की पवित्रता को बहाल करेगी”। वहीं बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने कहा है कि राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के छह दिनों के भीतर रत्न भंडार पर जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। उन्होंने आभूषणों की पूरी सूची सार्वजनिक करने का भी वादा किया है। इस मुद्दे के सियासी मायनों की बात करें तो भगवान जगन्नाथ ओडिशा में सबसे प्रतिष्ठित देवता हैं, एक ऐसा राज्य जहां हिंदुओं की आबादी लगभग 90% है। राज्य के लोग भावनात्मक रूप से जगन्नाथ संस्कृति से जुड़े हुए हैं। पुरी मंदिर के सेवकों सहित लोगों के एक वर्ग में चाबी गायब होने को लेकर गुस्सा है और भगवान के आभूषणों की सुरक्षा को लेकर चिंता है। ऐसे में सेवादार रत्न भंडार को जल्द खोलने और आभूषणों की सूची बनाने की भी मांग कर रहे हैं। पुरी राजघराने के वंशज दिब्यसिंघा देब ने भी रत्न भंडार खोलने का आह्वान किया है। ऐसे में यह मुद्दा काफी ज्वलंत है।

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