टीबी की दवा खत्म होने से पहले जिला यक्ष्मा केंद्र को सूचित करें मरीज:- सीएस

बक्सर:-जिले में लोकसभा निर्वाचन की सारी प्रक्रियाएं पूर्ण हो चुकी है। जिसके बाद अब स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ जिला यक्ष्मा केंद्र भी अपनी योजनाओं और सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए जोर लगा रहा है। इस क्रम में जिला यक्ष्मा केंद्र जिले के इलाजरत टीबी मरीजों की निगरानी के साथ साथ टीबी के नए मरीजों की खोज के लिए अभियान शुरू करेगा। ताकि, जिले के टीबी संक्रमण के प्रसार पर नकेल कसा जा सके। सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में टीबी मरीजों की जांच व निगरानी की गति धीमी थी। जिसे तेज करने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र के साथ साथ जिले के सभी प्रखंडों को निर्देश दिया जाएगा। जिसमें प्रभारी चिकित्सकों को उनके क्षेत्रों में इलाजरत टीबी के मरीजों की नियमित निगरानी की समीक्षा करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाएगा। साथ ही, जिला यक्ष्मा केंद्र इस बात को भी सुनिश्चित करेंगे कि जिले में जितने भी इलाजरत मरीज है, उनकी दवाओं का कोर्स बीच में बंद न हो। इसके लिए मरीजों को जागरूक करना होगा कि उनकी दवाएं खत्म होने से पूर्व ही इसकी सूचना वो जिला यक्ष्मा केंद्र या पीएचसी को दें। ताकि, समय से उन तक दवाएं पहुंचाई जा सके।          मई माह में हुई है 255 टीबी मरीजों की पुष्टि:-जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शालीग्राम पांडेय ने बताया कि पिछले माह जिले में चलाए गए जांच अभियान में कई नए मरीजों की पुष्टि हुई है। जिनका नोटिफिकेशन निक्षय पोर्टल पर किया जा चुका है। बीते माह जिले में भर में टीबी के लक्षण वाले 3269 मरीजों की जांच की गई थी। जिनमें 255 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई है। साथ ही, टीबी से ठीक हो चुके मरीजों की निगरानी के दौरान 499 लोगों में टीबी के लक्षण पाए गए थे। जिनकी जांच कराने के बाद 17 लोगों में फिर से टीबी की पुष्टि हुई है। इन मरीजों का इलाज मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी के तहत किया जाएगा। इन सबके अलावा जिले में 1715 एचआईवी मरीजों में भी टीबी की जांच की गई थी, जिनमें छह लोगों में टीबी की पुष्टि करते हुए उनका इलाज कराया जा रहा है। नए मरीजों की खोज में फ्रंटलाइन वर्कर्स की रहेगी महती भूमिका:-जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव ने बताया कि जिले में टीबी प्रसार पर नकेल कसने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र तत्पर है। इस क्रम में अब जिले में पंचायत व ग्राम स्तर पर टीबी जांच की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिसमें फ्रंट लाइन वर्कर्स की महती भूमिका रहेगी। उन्होंने बताया कि फ्रंट लाइन वर्कर्स अपने क्षेत्र में टीबी के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित करते हुए नजदीकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से उनका स्पूटम जमा करेंगी और उसे अपने पीएचसी या जिला यक्ष्मा केंद्र पहुंचाने में कुरियर में लगे लोगों की मदद करेंगी। जांच के क्रम में यदि किसी में टीबी की पुष्टि होगी, तो उनके परिवार के लोगों में भी टीबी की जांच की जाएगी। ताकि, टीबी के प्रसार को हरसंभव प्रयास से कम किया जा सके।

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