अपनी संतान की किस्मत को संवारने में अपने हांथों की लकीर बिगाड़ देने वाले का नाम है पिता

फादर्स डे पर राठौर की कलम से✍️

मधेपुरा:-पिता दिखने में जितना ही छोटा शब्द है इसकी परिभाषा उतनी ही व्यापक। मानस पटल पर पिता शब्द आते ही एक ऐसे फ़रिश्ते की तस्वीर तैरने लगती है जो अपने हाथों की लकीर बिगाड़ देता है अपनी सन्तान की किस्मत को संवारने में। ईश्वर के साकार अथवा निराकार रूप हमेशा प्रश्नों के घेरे में रहें हैं लेकिन पिता ईश्वर के पर्यायवाची हैं, इसमें कभी संदेह नहीं किया गया।           यह कहना गलत न होगा कि पिता मूलतः उस सूर्य की भांति है जिसके चारों ओर जितनी गरमी होती है उसके समीप उतनी ही अधिक ठंडक का संसार भी होता है। जिसका ज्ञान अक्सर संतान को बहुत बाद में पता चलता है। मेरे आजाद जिंदगी के आधार हैं पिता:-छोटे से शिक्षक किसान परिवार से निकल शिक्षण, वक्तृता, उद्घोषणा, साहित्य सृजन, छात्र राजनीति सहित अन्य क्षेत्रों में प्रांतीय, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर मिली हर सफलता पिता के उस अद्भुत भागीरथी प्रयास का फल है जिसमें उन्होंने कभी जीवन पथ पर लक्ष्य निर्धारण में अपनी इच्छा को नहीं थोपा बल्कि अपने पसंद की जिंदगी जीने की चाहत के सारथी बन गए। मेरे लिए अपने जीवन में अलग अलग अवसरों पर कई उतार चढ़ाव झेलने लेकिन उसकी भनक अथवा प्रभाव मेरे बढ़ते कदम पर नहीं देने वाले का नाम ही पिता है। उनके कहे वाक्य हरपल आदर्श पिता के रूप में उन्हें स्थापित करता है कि “तुम जो पसंद करते हो वहीं करो लेकिन याद रहे ऐसा कुछ न करो जिससे मेरा सर झुके। बच्चे के भविष्य का विधाता है पिता:-घर में अक्सर मां चिंतित है कि आज बेटा ने खाना नहीं खाया तो बाहर पिता कि बेटा आने वाले कल में पूरी जिंदगी क्या और कैसे खायेगा। अक्सर पापा ही क्या कोई भी पिता अपनी संतान पर खुलकर अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाता लेकिन जब सामने कोई परेशानी हो तो उसके सामने सबसे पहले खड़े होते हैं पिता यह कहते परेशान होने की जरूरत नहीं।वो संताने बड़ी भाग्यवान होती हैं जिनकी जिंदगी का अधिकांश हिस्सा पिता की छत्रछाया में गुजारने का सौभाग्य मिलता है। हर साल जून के तीसरे रविवार को मनाया जाने वाला फादर्स डे मूल रूप से अपने पिता के योगदानों को स्मरण करने और जीवन में उनके महत्व को याद करने का दिन है।      किसी ने सही ही कहा है कि……

*पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है
पिता है तो सारे सपने हैं
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने हैं”

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