सिद्धिकिया मस्जिद सह मदरसा ओराहि पूरब का कलकत्ता से आए हुए इस्लामिक विद्वानों ने लिया जायजा

अररिया:-वक्त और हालात के बदलाव के साथ मुदर्रिस को भी अपने निसाब और निजाम में बदलाव करनी चाहिए। खासकर बच्चों को आधुनिक और नई तकनीक से बच्चों को लैस करना बेहद जरूरी है। इन ख्यालात का इजहार फारबिसगंज प्रखंड स्थित ओराही पूर्व पंचायत में स्थित मदरसा दारूल उलूम सिद्धिकिया के संस्थापक व नाजिम मौलाना अब्दुश सुबहान कासमी के दावत पर कलकत्ता से आए मौलाना मोहम्मद शफीक साहब कासमी, पेशे इमाम नाखुदा मस्जिद जकरिया स्टेट कोलकाता, मौलाना मसूद मजहर साहब कासमी ,एडिटर रौनक उर्दू मीडिया, व जनाब खालिद अली साहब कोलकाता ने संयुक्त रूप से संबोधित कर कहा। आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए मदरसा हाजा के नाजिम व संस्थापक मौलाना अब्दूश सूबहान कासमी ने कहा कि हमारे यहां बाहर से आए मेहमानों ने मदरसा के तालिमी माहौल पर खुशी का इजहार किया है। कोलकाता से आए हुए अतिथियों ने कहा कि हमने मदरसा का जमीनी जायेजा लिया है।            मदरसा और मस्जिद का को जो ढांचा यहां तैयार हुआ है वह काबिले तारीफ है। उन्होंने संतोषप्रद व संतोषजनक जवाब में कहा कि दीनी उलूम के साथ असरी व तकनीकी शिक्षा से बच्चों को सवारना मौजूदा समय की जरूरत है। इसी के दृष्टिकोण से यह कदम उठाया गया है। आए हुए अतिथियों ने कहा कि मौजूदा समय बराबरी का है और हुनरमंद हाथों का है । ऐसे में मुस्लिम बच्चे अगर इसमें पीछे रह गए तो आर्थिक दृष्टिकोण से भी पिछड़ जायेंगे। उन्होंने तालिमी मुहिम को कामयाब बनाने के लिए मिल्लत के हमदर्द और तालीम याफ्ता लोगों से दीनी उलूम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आने की जरूरत बताया । ख्याल रहे की इस वक्त पूरे देश की निगाहें मदरसे के मुदर्रिस और उनमें पढ़ने वाले स्टूडेंट और पढ़ाए जाने वाले निसाब यानी सिलेबस में है। इसके मद्दे नजर भी अरबाब ए मुदर्रिस को गौर करने और अपने निसाब में आधुनिक शिक्षा को शामिल करने की जरूरत है। आए हुए अतिथियों ने कहा कि यह मदरसा भविष्य में एक बड़ा तालीम का केंद्र होगा, जो आसपास के लोगों के साथ-साथ बाहर के लोगों को भी काफी फायदा पहुंचेगा । उन्होंने सामूहिक रूप से मदरसा परिसर में दुआएं भी की। इस मौके पर स्थानीय मदरसा हाजा के शिक्षकों सहित बच्चे मौजूद थे। उनमेंसे प्रमुख रूप से कारी मसूद साहब, कारी सरवर साहब, मास्टर रोहित यादव, मास्टर विनय गुप्ता, मौलाना मुजाहिद उल इस्लाम साहब, मौलाना मंजूर आलम नदवी साहब, व चांद भाई सहित ग्रामीण आदि मौजुद थे। सभी आए हुए अतिथियों ने कहा कि यह मदरसा हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक है और आपसी सद्भाव को बढ़ाती है। यहां गंगा जमुना तहजीब देखने को मिलता है। हमे आकर यहां काफी अच्छा लगा,और यहां के लोग बड़े प्यारे हैं। अल्लाह ताला इस मदरसे को और तरक्की दे।

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