ज़िंदगी की हर जंग में साथ हैं ये हाथ-मानवता की नई परिभाषा ‘हैंड्स ऑफ प्रकाश चंद्रा’

पटना:-औरंगाबाद जिले में जब बीमार शरीर इलाज की आस में भटकता है और सिस्टम की चुप्पी पीड़ा को और गहरा कर देती है, तब एक हाथ मदद के लिए आगे बढ़ता है-‘हैंड्स ऑफ प्रकाश चंद्रा’। 20 सितंबर 2015 को औरंगाबाद जिले में जब डॉ. प्रकाश चंद्रा जी ने अपने जन्मदिन पर “हैंड्स ऑफ प्रकाश चंद्रा” संस्था की नींव रखी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि यह संस्था एक दिन हजारों बेसहारा और जरूरतमंदों की ज़िंदगी में उम्मीद की रोशनी बन जाएगी। दवाओं की कमी हो या वक्त पर एंबुलेंस न मिले, इस संस्था ने हर जरूरतमंद के लिए एक निःस्वार्थ सहारा बनने का कार्य किया है। कोरोना काल में जब ज़िंदगी खुद से हार रही थी, तब यही हाथ गांव-गांव जाकर दवा, भोजन और उम्मीद बाँट रहे थे। ‘हैंड्स ऑफ प्रकाश चंद्रा’ औरंगाबाद की ज़मीन पर इंसानियत की नई इबारत लिख रहा है-वह भी बिना किसी शोर-शराबे के, बस खामोशी से। लोगों की खुशी देती है शक्ति:-संस्था के संरक्षक और निदेशक डॉ. प्रकाश चंद्रा बताते हैं कि ‘‘हैंड्स ऑफ प्रकाश चंद्रा’’ मेरे जीवन की आत्मा है।          यह संस्था मेरे लिए सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि मेरी भावना, मेरी ज़िम्मेदारी और मेरे सपनों का विस्तार है। जब भी किसी माँ की आंखों में राहत की चमक देखता हूँ, किसी भूखे को खाना खिलाते समय उसकी मुस्कान देखता हूँ या किसी बेटी की शादी में उसका पिता आश्वस्त नज़र आता है—तो महसूस करता हूँ कि यही जीवन का असली उद्देश्य है। हम सिर्फ सहायता नहीं दे रहे हैं, हम सम्मान दे रहे हैं। हमारा प्रयास है कि कोई भूखा न सोए, कोई पीड़ा में अकेला न रहे और हर इंसान को एक मानवीय सहारा मिले। यह संस्था तब तक चलेगी जब तक समाज में दर्द बाकी है, और हम तब तक सेवा करते रहेंगे जब तक हमारे हाथ चल रहे हैं। मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ—इस मानवता के यज्ञ में अपनी आहुति अवश्य दें।”खून से उम्मीद, राहत से मुस्कान:-संस्था द्वारा अब तक 20 रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा चुका है, जिनमें 2000 से अधिक लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। वहीं जीवन रक्षा मुहिम के अंतर्गत 2000 से ज्यादा मरीजों को समय पर खून मिल सका। यह सिर्फ खून नहीं, बल्कि ज़िंदगी बांटने का प्रयास है। जब घर राख हो जाए तो उम्मीद हाथ बढ़ाए:-संस्था ने अग्निकांड जैसी आपदाओं में अब तक 100 से अधिक परिवारों तक भोजन, वस्त्र और राहत सामग्री पहुंचाई है। इन दुखद क्षणों में जब हर कोई दूर हो जाता है, तब “हैंड्स ऑफ प्रकाश चंद्रा” पीड़ितों के सबसे करीब खड़ा दिखता है। कन्यादान नहीं, कर्तव्यदान:-संस्था अब तक 500 से अधिक बेटियों की शादी में निःशुल्क सहयोग कर चुकी है। आर्थिक तंगी से जूझते परिवारों के लिए यह सिर्फ मदद नहीं, बल्कि समाज को साथ लेकर चलने का संदेश है। कंबल से लिपटी मानवता, भोजन से भरी उम्मीद:-5,000 से अधिक कंबल का वितरण और लगातार भोजन वितरण कार्यक्रम संस्था को औरों से अलग बनाते हैं। ये वो क्षण होते हैं जब भूखे पेट और ठिठुरती रात में किसी अजनबी का हाथ आगे बढ़ता है। स्वास्थ्य सेवा: वहाँ जहाँ सिस्टम नहीं पहुंचता:-50 से अधिक निःशुल्क मेडिकल कैंप, कोरोना महामारी के दौरान 10,000 से अधिक प्रवासी मजदूरों तक राशन और मेडिकल सहायता, और 1500 से ज्यादा परिवारों तक श्राद्ध-सामग्री—यह सब किसी व्यवस्था की योजना नहीं, बल्कि एक संवेदनशील हृदय की योजना है।

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