गया में धान-परती भूमि प्रबंधन परियोजना के अंतर्गत खरीफ ऋतु जागरूकता एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन

पटना:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के अंतर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर, गया द्वारा संयुक्त रूप से शुक्रवार को गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड अंतर्गत गजाधरपुर गांव में “धान परती भूमि: खरीफ ऋतु जागरूकता एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम” का सफल आयोजन किया गया।           इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य धान कटाई के उपरांत खाली पड़ी भूमि में रबी ऋतु की फसलों के समुचित उपयोग की संभावनाओं को बढ़ावा देना तथा अनुसूचित जाति से संबंधित किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों के प्रति जागरूक कर उनकी तकनीकी क्षमता को सशक्त बनाना था। गया जिले में इस कार्यक्रम के अंतर्गत धान की सीधी बुआई 100 एकड़ एवं अरहर की मेड़ पर खेती लगभग 50 एकड़ में सफलतापूर्वक किया गया। कार्यक्रम के दौरान चयनित किसानों को सामूहिक रूप से पावर वीडर मशीनों का वितरण किया गया, जिससे वे खेत की गुड़ाई, खरपतवार नियंत्रण एवं अन्य कृषि कार्यों को वैज्ञानिक ढंग से करते हुए श्रम और समय की बचत कर सकें। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य, जल निकासी व्यवस्था और परती भूमि के कुशल उपयोग के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, गया से श्री मनोज कुमार राय (वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख), डॉ. प्रेम कुमार सुंदरम (वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना), श्री देवेंद्र मंडल (सहायक प्राध्यापक-सह-सहायक वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, नवलेरखा, नालंदा), डॉ. रश्मि प्रियर्दशी (मृदा वैज्ञानिक), एवं डॉ. मोनिका पटेल (गृह विज्ञान विशेषज्ञ, केवीके, गया) ने किसानों को खरीफ मौसम के दौरान उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग हेतु प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान किया।           किसानों ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल उनके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुई है और वैज्ञानिकों के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन से उन्हें उन्नत तकनीकों की जानकारी प्राप्त हुई है। कार्यक्रम में कुल 75 किसानों ने सक्रिय भागीदारी निभाई तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रस्तुत तकनीकी उपायों को अपनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में सहायक प्राध्यापक-सह-सहायक वैज्ञानिक श्री देवेंद्र मंडल द्वारा आभार ज्ञापन किया गया।

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