कालाजार बीमारी पर जागरूकता की वाहक बनीं माया देवी

बक्सर:-बड़का नुआंव के कालाजार मरीज मानते हैं कि माया दीदी हमारे लिए भगवन के समान है. माया देवी, आशा फैसिलिटेटर के रूप में बड़का नुआंव में कार्यरत हैं. वह अपनी आशा कार्यकर्ताओं की टीम के साथ क्षेत्र के कालाजार मरीजों को चिकित्सीय उपचार से जोड़ने, उन्हें बीमारी के लक्षणों के बारे में जागरूक करने एवं बचाव के बारे में नियमित रूप से जागरूक करती हैं. ज्ञात हो कि जिला समेत पूरा राज्य कालाजार मुक्त हो चुका है. विभाग प्रयास कर रहा है कि ऐसे लोग जो कालाजार से ग्रसित रहे हों, उनमे रोग की पुन्रावित्ति न हो. इसके लिए कालाजार से प्रभावित रहे जिलों में नियमित अंतराल पर सिंथेटिक पाराथाईराइड का छिड़काव किया जा रहा है और रोगी खोज अभियान भी संचालित किया जा रहा है। माया देवी बताती हैं कि “कालाजार जैसी बीमारी के उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कड़ी मेहनत की गयी है. अब हम जैसे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों की जिम्मेदारी है कि दुबारा रोग का दंश समुदाय को नहीं झेलना पड़े. मेरा यह प्रयास रहता है कि लोग सजग रहें और कालाजार के लक्षणों को पहचानें. मैंने हमेशा यह माना है कि सावधानी ही सुरक्षा है।                         मैं लोगों को बताती हूँ कि घर के अँधेरे वाली जगहों पर न रहें और सामान नहीं रखें. घर का नमीयुक्त वातावरण और अँधेरी जगहों पर बालूमक्खी आसानी से रहती है. मैं प्रयास करती हूँ कि छिड़काव की तिथि के पहले लोग सजग रहें और छिड़काव करने आई टीम को जरुरी सहयोग प्रदान करें”.माया देवी ने कहा कि “छिड़काव के पहले विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गए पैम्फलेट बांटकर मैं लोगों को जागरूक करती हूँ. मैंने यह देखा है कि कई लोग लक्षण दिखाई देने पर निजी अस्पतालों में जाने की बात करते हैं. मैं उन्हें बताती हूँ कि सरकारी अस्पतालों में कालाजार की जांच एवं उपचार की व्यवस्था पूरी तरह से निशुल्क है. मैं लोगों को बताती हूँ कि इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो चुके मरीज दोबारा से इसकी चपेट में आ सकते हैं. ऐसे में मरीज के शरीर पर त्वचा संबंधी लीश्मेनियेसिस रोग होने की संभावना रहती है. इसे त्वचा का कालाजार (पीकेडीएल) भी कहा जाता है. पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है. इसके लिए लगातार 12 सप्ताह तक दवा का सेवन करना पड़ता है. सरकार द्वारा इलाज के बाद मरीज को 4000 रुपये का आर्थिक अनुदान भी सरकार द्वारा दिया जाता है. पीकेडीएल से बचने के लिए मरीजों को कालाजार के इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने की सलाह दी जाती है”सदर प्रखंड के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक प्रिंस कुमार ने बताया कि माया देवी जैसी कार्यकर्ता विभाग की रीढ़ की हड्डी हैं. लोगों को जागरूक कर उचित परामर्श देना उनकी पहचान है. प्रिंस कुमार ने बताया कि कालाजार से बचाव के लिए लोगों को भी आगे आकर विभाग का सहयोग करना चाहिए. माया देवी जैसी कार्यकर्ता ने मानव सेवा को अपने कार्य का अभिन्न अंग बनाया है और वह अन्य आशा कार्यकर्ताओं के लिए एक उदाहरण हैं।

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