आरबीएसके के प्रयासों से दूर हुई आदर्श की दिल की बीमारी, हुआ सफल इलाज

बक्सर:- जिले के कई बच्चे आज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के प्रयासों की बदौलत मुस्कुरा और खेल कूद रहे हैं। आरबीएसएके ने न केवल उन बच्चों को नया जीवन दिया, बल्कि उनके परिजनों पर पड़ने वाले इलाज के आर्थिक दबाव का बोझ भी कम कर दिया। ऐसा ही एक मामला बक्सर जिले के ब्रह्मपुर से सामने आया है।                              जहां एक मध्यम परिवार के दो साल के बच्चे के जन्मजात हृदय रोग का निःशुल्क और सफल इलाज हुआ। वह ब्रह्मपुर निवासी कमलेश कुमार का बेटा आदर्श है, जो जन्म से ही जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित था। आदर्श के पिता कमलेश कुमार बताते हैं कि उनका बेटा बचपन से ही काफी सुस्त और बीमार रहता था। परिवार के लोग इससे काफी परेशान रहने लगे। जब वह डेढ़ माह का हुआ तो उसमें बार बार निमोनिया के लक्षण देखने को मिला। जिसके बाद उसे पटना, आईजीएमएस ले जाया गया। जहां उसमें जन्मजात हृदय रोग की पुष्टि हुई। हालांकि, शिशु होने के कारण उस समय उसका इलाज नहीं हो सका। लेकिन, बीते जनवरी माह में आरबीएसके के माध्यम से पटना में उसकी पुनः जांच कराई गई। जिसके बाद चिकित्सकों ने आदर्श के दिल की बीमारी की स्वीकृति दी और फरवरी में अहमदाबाद में उसका निःशुल्क इलाज भी हुआ। जिसके लिए वो स्वास्थ्य विभाग और आरबीएसके की टीम के सदस्यों के सदा शुक्रगुजार रहेंगे। आरबीएसके के माध्यम से कई बच्चों का हुआ सफल इलाज:-डीईआईसी मैनेजर सह आरबीएसके के जिला समन्वयक अभिजीत वैद्य ने बताया कि आरबीएसके के माध्यम से जिले के कई ऐसे परिवार के बच्चों का सफल इलाज हुआ है, जो अपने बच्चों के इलाज के लिए समर्थयवान नहीं थे। जिनमें जन्मजात विकृतियों से ग्रसित बच्चे भी शामिल हैं। आरबीएसके के माध्यम से इलाज कराने पर उन परिवारों पर आर्थिक दबाव नहीं पड़ा। यहां तक कि विभाग उनके इलाज के साथ-साथ उनके आवागमन का भी खर्च उठाता। उन्होंने बताया कि लाभार्थी बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के खर्च भी उठाती है। राज्य के बाहर के चिह्नित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल, निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिये 5,000 रुपये है। वहीं, अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि 10,000 रुपये हैं। उनके साथ एक समन्वयक भी रहते हैं, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ ही वापस आते हैं। बच्चों के हृदय की संरचना से जुड़ी एक समस्या है सीएचडी:-सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) बच्चों के हृदय की संरचना से जुड़ी एक समस्या है, जो जन्म के समय मौजूद होती है। यह बीमारी शरीर में रक्त को सामान्य रूप से बहने से रोकता है। जिसके तीन कारक हो सकते हैं। बच्चों के दिल की दीवार में एक छेद। उनकी रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याएं (बहुत अधिक या बहुत कम, रक्त बहुत धीमी गति से, गलत जगह पर या गलत दिशा में बह रहा है)। या उनके हृदय वाल्वों में समस्याएं जो रक्त प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने बताया कि सीएचडी के कुछ मामले सरल होते हैं और उनमें कोई लक्षण नहीं हो सकता है।          लेकिन अन्य जानलेवा हो सकते हैं और शैशवावस्था में उपचार की आवश्यकता होती है। इसका इलाज आरबीएसके के माध्यम से निःशुल्क किया जाता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता हृदय दोषों का शीघ्र पता लगा सकते हैं (जन्म से पहले या उसके तुरंत बाद)। लेकिन कभी-कभी, लोगों को बचपन, किशोरावस्था या वयस्क होने तक सीएचडी का निदान नहीं मिल पाता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग सीएचडी के मामलों को लेकर काफी गंभीर है।

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