निजी स्वास्थ्य संस्थानों को समय से प्रसव संबंधित आंकड़े देने का निर्देश

पटना:-सरकारी एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों में हो रहे प्रसव के आंकड़ों से मातृ और नवजात शिशु स्वास्थ्य से संबंधित सूचकांकों की पहचान की जाती है। इन्हीं आंकड़ों के विश्लेषण से आवश्यकताओं को चिन्हित कर मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उपाय भी किये जाते हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्णय के अनुसार सरकारी तथा निजी दोनों अस्पतालों को संस्थागत प्रसव के आंकड़े नियमित रूप से हेल्थ मैनेजमेंट इंर्फोमेशन सिस्टम (एचएमआईएस) पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। इसकी महत्ता को देखते हुए ही इस बार वित्तीय वर्ष 2023-24 में सूबे के सात जिले के निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों ने संस्थागत प्रसव के नोटिफिकेशन को बढाते हुए अपना लक्ष्य पूरा कर लिया है। ये सात जिले हैं : बेगूसराय, पश्चिम चम्पारण, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, लखीसराय, किशनगंज, शेखपुरा और गोपालगंज। इस संबंध में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (मातृ स्वास्थ्य) डॉ विजेता सिन्हा ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखा है और कहा है कि बाकी बचे या छूटे हुए निजी स्वास्थ्य संस्थानों के आंकड़े एचएमआईएस पोर्टल पर जल्द अपलोड करवाएँ। उन्होंने कहा कि यह पोर्टल इन आंकड़ों की प्रविष्टि के लिए अब किसी भी समय फ्रीज किया जा सकता है क्योंकि वित्तीय वर्ष समाप्त हो गया है।           क्या हैं लाभ:-इन आंकड़ों के विश्लेषण से उन कमियों का पता चलता है जहाँ आगे ध्यान देने की जरूरत है और दूसरा कि संस्थागत प्रसव से मिलने वाले लाभ भी लाभार्थियों तक पहुँचाना सुगम हो जाता है। संस्थागत प्रसव होने पर जननी सुरक्षा योजना और जननी प्रधानमंत्री मातृत्व वन्दना योजना जैसी अनेक योजनाओं का लाभ दिया जाता है। इसके अलावा आशा द्वारा गृह आधारित नवजात देखभाल योजना का भी लाभ दिया जाता है। इन सभी योजनाओं का उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। क्या कहती हैं विशेषज्ञ:-नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डॉ. अनिता बताती हैं कि किसी भी स्वास्थ्य सूचकाँक की स्थिति पूरी तरह से तथ्यों और साक्ष्यों पर निर्भर होती है। संस्थागत प्रसव के लिए हमें केवल सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से एचएमआईएस में नियमित स्थिति मिलती है, जबकि बहुत सारे प्रसव निजी सुविधाओं में हुए हैं। सरकारी और निजी दोनों स्वास्थ्य संस्थानों के डेटा के विश्लेषण से मातृ मृत्यु दर की जटिलताओं को समझाने में आसानी होती है। इसलिए उचित योजना और नियमित समीक्षा के लिए संस्थागत प्रसव और उससे संबंधित डेटा नियमित रूप से सिस्टम को दिया जाना चाहिए। यह सरकार के लिए मातृ स्वास्थ्य को लेकर नीतियां और कार्यक्रम बनाने के लिए अत्यन्त जरूरी है।

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