हजरत मोहम्मद (स) साहब के जन्म दिवस पर निकला जुलूस व प्रभात फेरी

उलेमाओं ने कहा मोहम्मद साहब पूरे दुनिया के लिए रहमत

अररिया:-शनिवार को इस्लाम धर्म के प्रवर्तक व आखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद (स०) साहब के जन्म दिवस के मौके पर जिले भर से भव्य जुलूस निकला।           पंद्रह सौ साला जश्न ईद मिलादुन्नबी जिले के जोकीहाट थाना क्षेत्र के चिरह गांव के दरगाह चिरह शरीफ से चलकर जिला मुख्यालय स्थित सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम पहुंचा जहां जुलुश एक सभा में परिणत हो गया। इस मौके पर रामपुर, डुमरिया, रामपुर कोडरकट्टी, अररिया वगैरह गांव से जुलूस जिला मुख्यालय पहुंचा और प्रोग्राम का आगाज कुरान पाक की तिलावत से शुरू हुआ ,उसके बाद नात पाक पढ़ा गया। जबकि प्रोग्राम का संचालन मौलाना मनोववर साहब रामपुर ने किया और ईद मिलादुन्नबी के आमद पर तकरीर मुफ्ती हबीबुर रहमान, अरशद अनवर अलिफ साहब ने किया। प्रोग्राम का समापन सलाम व दरूद पाक अदा कर दुआ से किया तथा पूरे संसार के लिए दुआ की गई। मौके पर चिरह के मुखिया शाहिद आलम ,मौलाना जफर मंजूर, निहाल भाई, डॉ हबीब, मोहम्मद जाहिद, मास्टर अब्दुल वाहिद, मास्टर कलाम, हाफिज इरशाद, पूर्व मुखिया शहजाद, मो मुशाहिद आदि युवा जुलूस के साथ साथ शामिल थे। मिली जानकारी अनुसार अहले सुबह शनिवार को इस जुलूस को जिले के गांव, शहर, गली मोहल्लों में भ्रमण कराया गया। वहीं जोकिहाट प्रखंड के चिरह, उदा, तुरकैली,अररिया प्रखंड से रामपुर कदरकट्टी, गाछी टोला आदि जगहों से जुलूस शान्ति पूर्वक निकाला गया। इधर इस्लामिक जानकार व उलेमाओं ने कहा के मिलादुन्नबी यानी इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म दिन रविअव्वल महीने की 12 तारीख को मनाया जाता है । हजरत मोहम्मद साहब का जन्म मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था उनके वालिद साहब का नाम अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुख्तलिब था और वाल्दा का नाम आमेना था। उनके पिता का स्वर्गवास उनके जन्म के 2 माह बाद हो गया था, उनका लालन-पालन उनके चाचा अबू तालिब ने किया। हजरत मोहम्मद साहब को अल्लाह ने एक अवतार के रूप में पृथ्वी पर भेजा था क्योंकि उस समय अरब के लोगों के हालात बहुत खराब हो गए थे। लोगों में शराब खोरी, जुवा खोरी, लूटमार, वेश्यावृत्ति, अज्ञानता,कई कुरीतियां भयंकर रूप से फैला हुआ था।            कई लोग नास्तिक थे। ऐसे माहौल में मोहम्मद साहब (स) ने जन्म लेकर लोगों को एक ईश्वर का संदेश दिया। यह बचपन से ही अल्लाह की इबादत में लीन रहते थे । कई कई दिनों तक मक्का की एक पहाड़ी (गारे हिरा) पर जिसे अब्बल नूर कहते हैं उसमे वह इबादत किया करते थे। 40 वर्ष की अवस्था में उन्हें अल्लाह की ओर से संदेश प्राप्त हुआ। अल्लाह ने फरमाया यह सब संसार सूर्य, चांद, सितारे मैंने पैदा की है, मुझे हमेशा याद करो। मैं केवल एक हूं, मेरा कोई मानी सानी नहीं है। अल्लाह ताला फरमाते हैं कि ए नबी (स) लोगों को समझाओ। हजरत मोहम्मद साहब (स) ने ऐसा करने का अल्लाह को वचन दिया, तभी से उन्हें नबूवत प्राप्त हुई। मोहम्मद साहब (स) ने खुदा के जिस धर्म को चलाया वह इस्लाम कहलाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है, खुदा के हुक्म पर झुकना। वही चिरह से इस जुलूस को सफल बनाने में पूरे गांव के लोग सहित युवा, बच्चे, बूढ़े सब लोग मौजूद थे। पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन भी जुलूस को शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनाने के लिए कमान संभाले हुए नजर आए। सभी गांव में हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस पर सुबह-सुबह प्रभात फेरी भी निकाली गई और दिन भर विभिन्न गांव में जुलूस का काफिला जिला मुख्यालय तक आता रहा और मुख्यालय का भ्रमण करते हुए स्थानीय चांदनी चौक होते हुए सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम में प्रवेश किया और विभिन्न गांव से आए हुए जुलूस एक सभा में परिणत हो गया। जहां उलेमाओं ने अपनी तकरीर में कहा कि हजरत मोहम्मद साहब के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाएं। उनके शिक्षा को आम करें। इस मौके पर स्टेडियम में आयोजित सभा के समापन पर उलेमाओं ने पूरे दुनिया के लिए अमन चैन, व शांति के लिए दुआएं भी सामूहिक रूप से की गई। मौके पर पुलिस पदाधिकारी वी जिला प्रशासन भी मौजूद थे। मुखिया प्रतिनिधि मो शाहिद सह मुखिया संघ के प्रखण्ड अध्यक्ष ने यह भी बताया कि यूं तो अररिया जिले में सभी पर्व आपसी भाईचारे के साथ मनाया जाता है।          जिला में गंगा जमुना तहजीब का मिशाल देखने को मिलता है और सभी पर्व यहां आपसी भाईचारे के साथ मनाई जाती है और यह पर्व भी आज शांतिपूर्ण तरीके से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मनाया। लोगों और प्रशासन ने चिरह के मुखिया शाहिद आलम, पूर्व मुखिया शहजाद आलम, शिक्षक अरशद अनवर अलिफ, राजद के जिला महासचिव कमाले हक को भी पर्व की मुबारकबाद दी, तथा इन लोगों ने भी जुलूस वो सभा को संबोधित किया। उसके बाद फिर अपने अपने गांव के लिए जुलूस वापस हो गया। वहीं शाम तक विभिन्न मस्जिदों, इबादतगाहों व खानकाओं में दरूद फातेहा का एहतमाम होता रहा। इस तरह मोहम्मद साहब के जन्मदिवस पर निकले जुलूस शांतिपूर्वक संपन्न हो गया।

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