ईद पर्व की खरीदारी के मौके पर गरीब, लाचार व बेसहारों का भी रखें ख्याल

अररिया:-रहमत बरकत का मुकद्दस माह ए रमजान के रोजे मुकम्मल होने वाले हैं अब ईद आने वाली है। वहीं खुशियों का पर्व ईद को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी है। ऐसे में जिले के मशहूर चिकित्सक फिजिशियन डॉ. मो. आसिफ रशिद ने मालदार लोगों से ईद की खरीदारी के मौके पर आसपास के जरूरतमंदों की मदद करने की अपील की है। उन्होंने कहा की माहे रमजान में गरीब, लाचार, यतीम, बेसहारा जरूरमंदो की मदद करने पर अल्लाह तबारक व तआला बेहतर बदला देता है। अगर आपके आसपास या रिश्तेदारों में कोई गरीब है तो उसकी मदद पहले जरूर करें। उन्होंने कहा कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें मदद की दरकार होती है, मगर शर्म होने कारण मांग नहीं सकते। ऐसे लोगों की मदद आप खोज खोज कर और उन्हें छुप कर जरूर करें। हम सब जरूरतमंदों की मदद करेंगे तो अल्लाह हम सबको जरूरत से ज्यादा नवाजेगा और किसी गरीब बच्चों की मुस्कुराहट आपको भी खुशी देगी। इसलिए आसपास के जरूरतमंद लोगों की दिल खोलकर मदद करें ताकि उनके घर पर भी ईद की खुशी मिल सके। उन्होंने पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ईद मुहब्बत का पैगाम देता है। ईद यह संदेश देता है कि यह मुल्क गंगा यमुना तहजीब की व अनेकता में एकता वाला खूबसूरत मुल्क है। हिंदुस्तान हमैशा से मुहब्बत व सांप्रदायिक सौहार्द का गहवारा है इस हमसब को बनाए रखना है। मुहब्बत अमन चैन को आम करना है। ईद के दिन एकाएक अधिक भोजन करने से करें परहेज:- डॉ. आसिफ रशिद ने कहा कि ईद के दिन एकाएक अधिक भोजन करने से परहेज करें, चूंकि पूरे एक माह रोजा रखने के बाद अचानक सिस्टम में अधिक बदलाव के कारण अनपच की समस्या हो सकती है। इसलिए भोजन करते समय संयमित रहें,जहां तक हो सके साफ व स्वच्छ पानी पीते रहें। तली भुनी हुई चीजों से बचते रहे। गर्मी के दौरान बच्चों में बढ़ जाता है डायरिया व डीहाइड्रेशन का खतरा:-जिले में गर्मी धीरे धीरे अपना असर दिखाने लगा है। तेज धूप अभी से ही लोगों को सताने लगी है। ऐसे मौसम में थोड़ी सी लापरवाही कई तरह की बीमारियों को न्योता दे सकता है। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। खास कर छोटे बच्चों के मामले में तो ये और भी जरूरी है। ऐसे मौसम में शिशुओं और छोटे बच्चों को डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण यानी डीहाइड्रेशन का खतरा होता है। समय पर इसका कुशल प्रबंधन नहीं होने पर ये जानलेवा भी हो सकता है। डायरिया से सम्बंधित लक्षणों के प्रति जागरूक होकर इसके खतरों से आसानी से बचा जा सकता है। इस बाबत डॉ. मो. आसिफ रशिद ने यह भी बताया कि शुगर, बीपी व थायराइड रोगियों को हर एक सप्ताह के अंतराल पर चेक कराते हुए चिकित्सक के संपर्क में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि डायरिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक है। शुरुआती लक्षणों के आधार पर आसानी से इसकी पहचान कर इसका कुशल प्रबंधन किया जा सकता है। लगातार पतले दस्त का होना, दस्त के साथ उल्टी, भूख में कमी, दस्त के साथ हल्का बुखार आना, जटिल परिस्थितियों में दस्त के साथ खून आना इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। रोग के शुरुआती दौर में ओआरएस का घोल इलाज में काफी मददगार होता है। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। गाछी टोला स्थित पॉलीक्लिनिक हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. एम ए रशिद बताते हैं कि डायरिया से बच्चों में कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इससे बचाव जरूरी है। गर्मियों में बच्चे अक्सर प्यास लगने पर कहीं से भी पानी पी लेते हैं।                            इससे इंफेक्शन का खतरा होता है। दूषित जल का सेवन, साफ सफाई की कमी इसके मुख्य कारणों में शामिल है। इसलिए बच्चों को खाना खिलाने से पहले अच्छी तरह उनका हाथ धोएं, खाना बनाते व परोसते समय सफाई रखें, बच्चों को शौच के बाद साबुन से हाथ धुलने की आदत डायरिया से बचाव के लिहाज से जरूरी है। बच्चे को दस्त की समस्या होने पर किसी दवा से पहले उन्हें पानी की कमी से बचाएं, जीवन रक्षक घोल यानी ओआरएस पिलाएं, घर पर ही नींबू पानी में नमक व चीनी मिलाकर पिलाएं। लस्सी, छाछ, नारियल पानी दे भी दिया जा सकता है। मौसमी राशदार फलों का खूब सेवन करें। ताजा आहार व गर्म गला हुआ नर्म सुपाच्य भोजन करें। हालत में सुधार नहीं होने पर तत्काल अपने नजदीकी अस्पताल से संपर्क करने की सलाह उन्होंने दी। ईद की तरह वोट देने की भी करें तैयारी:-रमजानुल मुबारक के तमाम रोजे मुकम्मल कर लेने के बाद सबसे बड़ी बात हमलोगों के सामने ईद उल फितर की खुशियां मनाने की है। इसके लिए सभी लोग पूरी तैयारी में जुटे हुए हैं । वहीं सामने लोकसभा चुनाव भी है। चुनाव में वोट देना सभी का संवैधानिक अधिकार है। इसलिए अभी से अपनी हक अधिकार के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाएं और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दें। बूथ का नाम, नंबर, भाग, क्रम संख्या सभों को मालूम होना चाहिए। दो दिन पूर्व अपने संबंधित पोलिंग बूथ केंद्र को जाकर देख लें। सभी घर वार्ड, मुहल्ला में वोटर लिस्ट होना चाहिए। सभी अपना अपना नाम देख कर इत्मीनान हो लें। प्रशासन की तरफ से भी वोटरपर्ची दिया जा रहा है। उसे हासिल कर लें। खुद से भी वोटर पर्ची हासिल कर के हर एक फर्द को दस्तयाब अर्थात मुहैय्या कर दें। आपको अपना बूथ नंबर और सीरियल नंबर भी जेहन में महफूज होना चाहिए, ताकी अगर पर्ची न मिल सकें तो भी आप अपने वोट का प्रयोग कर सकें। पहचान कार्ड, वोटर कार्ड, पेन कार्ड या अन्य इत्यादि कोई भी कार्ड जो वोट देने के अमल को पूरा करने में सहायक हो साथ रखें। मुनासिब है कि वोटिंग के दिन नमाज फजर के बाद से ही महिलाएं व मर्द अपने अपने बूथ पर पहुंच जायें। अपको वोटिंग में जो भी दुश्वारी या दिक्कत पेश आए बर्दाश्त करें। चाहे आपको दिन भर भूखा ही रहना पड़े। वोट की अहमियत और ताकत को समझिए। आपका एक वोट देश की तरक्की व निर्माण की खातिर सही रहनुमा का इंतेखाब करने के लिए जरूरी है। जो लोग दूसरे प्रदेश में रह रहे हों वह भी चुनाव के मौका से जिस तरह ईद मनाने के लिए घर आते हैं उसी प्रकार वोटिंग से दो दिन पूर्व घर आकर अपने वोट का प्रयोग करें। पोलिंग बूथ पर शत प्रतिशत मतदान को लाजमी बनाना हमारी कौमी मिल्ली फरीजा व तकाजा है। वोट जरूर करें पहले मतदान, तब जलपान करें।

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